(शब्द व चित्र: अनुराग शर्मा)
क्यों ऐसी बातें करते हो
ज़ालिम दुनिया से डरते हो
जो आग को देखके राख हुए
क्यों तपकर नहीं निखरते हो
बस एक ही था वह रूठ गया
अब किसके लिये संवरते हो
हर रोज़ बिछड़ जन मिलते हैं
तुम मिलकर रोज़ बिखरते हो
सब निर्भय होकर उड़ते हैं
तुम फिक्र में डूबते तिरते हो
जब दिल में आग सुलगती है
तुम भय की ठंड ठिठुरते हो
इक बार नज़र भर देखो तो
जिस राह से रोज़ गुज़रते हो
कल त्याग आज कल पाता है
तुम भूत में कितना ठहरते हो
ज़ालिम दुनिया से डरते हो
जो आग को देखके राख हुए
क्यों तपकर नहीं निखरते हो
बस एक ही था वह रूठ गया
अब किसके लिये संवरते हो
हर रोज़ बिछड़ जन मिलते हैं
तुम मिलकर रोज़ बिखरते हो
सब निर्भय होकर उड़ते हैं
तुम फिक्र में डूबते तिरते हो
जब दिल में आग सुलगती है
तुम भय की ठंड ठिठुरते हो
इक बार नज़र भर देखो तो
जिस राह से रोज़ गुज़रते हो
कल त्याग आज कल पाता है
तुम भूत में कितना ठहरते हो
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (18-03-2016) को "दुनिया चमक-दमक की" (चर्चाअंक - 2285) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (18-03-2016) को "दुनिया चमक-दमक की" (चर्चाअंक - 2285) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (18-03-2016) को "दुनिया चमक-दमक की" (चर्चाअंक - 2285) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
आभार शास्त्री जी!
Deleteभावपूर्ण..
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteसभी सार्थक ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार!
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...
सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार!
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteअनुराग जी आपकी ये कविता बहुत ही सुन्दर है आपकी इस कविता में यादों के स्वरूप को जिस प्रकार से चित्रित किया है वह बहुत ही सराहनीय है आप अपनी कवीतये इसी प्रकार से शब्दनगरी पर भी प्रकाशित कर सकते हैं .........
ReplyDelete