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Monday, February 16, 2009

दिमागी जर्राही बरास्ता नाक [इस्पात नगरी से - खंड 9]

जब औद्योगिक विकास सबसे बड़ी प्राथमिकता थी, पिट्सबर्ग स्वाभाविक रूप से ही विश्व के सबसे धनी नगरों में से एक था. धीरे-धीरे जब पर्यावरण के प्रति जागृति आनी शुरू हुई और क़ानून कड़े होने लगे तब बहुत से व्यवसाय यहाँ से बाहर जाने लगे. पिट्सबर्ग की जनसंख्या सिकुड़नी शुरू हुई और उसके साथ ही पिट्सबर्ग ने नए क्षेत्रों को अपनाना शुरू किया. जहाँ एक तरफ़ इस नगर में कम्प्युटर संबन्धी शिक्षा और व्यवसाय पर ज़ोर दिया गया वहीं स्वास्थ्य शिक्षा और अस्पतालों ने नए रोज़गार पैदा किए. स्वास्थ्य के क्षेत्र में पिट्सबर्ग पहले ही काफी झंडे गाढ़ चुका था. मसलन, डॉक्टर जोनास साल्क द्वारा पोलियो के टीके की खोज यहाँ हुई थी और वर्षों बाद अमेरिका में पहला "बीटिंग हार्ट" प्रत्यारोपण यहीं हुआ.

मगर आज हम बात कर रहे हैं एक साधारण सी लगने वाली मगर क्रांतिकारी चिकित्सा तकनीक की. यह तकनीक है "न्यूरोएंडोपोर्ट" जिसमें नाक के रास्ते से जाकर ऐसे दिमागी ट्यूमर की शल्यक्रिया होती है जिसे खोपडी खोलकर आसानी से नहीं छुआ जा सकता है. यूपीएमसी पिट्सबर्ग (जो कि मेरे नियोक्ता भी हैं) के डॉक्टर अमीन कासम ने विश्व में पहली बार "न्यूरोएंडोपोर्ट" का सफल प्रयोग किया था.

१२ फरवरी को यूपीएमसी चिकित्सकों के एक दल ने छः घन्टे की शल्यक्रिया द्वारा भारत से आए जैन संत आचार्य यशोविजय सूरीश्वर जी के मस्तिष्क के एक गोल्फ की गेंद के आकार के ट्यूमर को निकाला जिसके दवाब के कारण आचार्य के दृश्य तंत्रिका काम नहीं कर पा रही थीं और आचार्य कुछ भी देख या पढ़ सकने में असमर्थ हो गए थे.

६३ वर्षीय आचार्य की पहली शल्य चिकित्सा भारत में हुई थी मगर सर के रास्ते से उस ट्यूमर को सफलतापूर्वक हटाया नहीं जा सका था. बाद में यूरोप में रह रहे उनके एक चिकित्सक अनुयायी ने पिट्सबर्ग के बारे में जानने के बाद उनको यहाँ लाने की बात शुरू की. उल्लेखनीय बात यह है कि यह आचार्य जी की पहली हवाई यात्रा भी थी. वे अभी पिट्सबर्ग में ही स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं और यहाँ की व्यवस्था से प्रसन्न हैं. स्थानीय अखबारों में उनकी यात्रा और इलाज के बारे में जिस प्रमुखता से समाचार छपे हैं उससे स्थानीय लोगों को भी जैन संस्कृति के बारे में पहली बार काफी जानकारी मिली है.


[इस शृंखला के सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा लिए गए हैं. हरेक चित्र पर क्लिक करके उसका बड़ा रूप देखा जा सकता है.]
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