Tuesday, October 13, 2009

पतझड़ - एक कुंडली

पिट्सबर्ग में पतझड़ का मौसम आ चुका है। पत्ते गिर रहे हैं, ठंडी हवाएं चल रही हैं। हैलोवीन के इंतज़ार में बैठे बच्चों ने अपने घरों के बाहर नकली कब्रें और कंकाल इकट्ठे करने शुरू कर दिए हैं। पेड़ों पर जहाँ-तहाँ बिल्कुल असली जैसे नरकंकाल टंगे दीख जाते हैं। ऐसे मौसम का दूसरा पक्ष यह भी है कि प्रकृति रंगों से भर उठी है। धूप की गुनगुनाहट बड़ी सुखद महसूस होती है। काफी पहले पतझड़ शीर्षक से एक कविता लिखी थी आज उसी शीर्षक से एक कुंडली लिखने का प्रयास किया है जिसका प्रथम और अन्तिम शब्द पतझड़ ही है:

पतझड़ में पत्ते गिरैं, मन आकुल हो जाय।
गिरा हुआ पत्ता कभी, फिर वापस ना आय।।

फिर वापस ना आय, पवन चलै चाहे जितनी ।
बात बहुत है बड़ी, लगै चाहे छोटी कितनी ।।

अंधड़ चलै, तूफ़ान मचायै कितनी भगदड़।
आवेगा वसंत पुनः, जावैगा पतझड़।।

(अनुराग शर्मा)

19 comments:

  1. आशावादी सोंच लिए बहुत बढिया रचना .. बधाई !!

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  2. पतझड़ (या अपनी भाषा में कहें तो फाल) इन शीत कटिबंधीय इलाकों में एक अलग सुन्दरता लेकर आता हैं. बड़ा मनोहारी लगता है रंग-बिरंगा माहौल पर वृक्ष के सूखने की वेदना कोई नहीं देखता. इसी विचार पर आज साँझ ही अधपकी कविता लिखी थी - विचारों ने अभी उस पर परिपक्वता की मोहर नहीं लगाई थी कि आपकी कविता पर नज़र पड़ी.....ऐसा प्रतीत हुआ - मेरे संवेदनाओं को कहीं और अभिव्यक्ति मिल गई....

    पतझड़ में पत्ते गिरैं, मन आकुल हो जाय।
    गिरा हुआ पत्ता कभी, फ़िर वापस ना आय।।

    काफी गंभीर अभिव्यक्ति लगी... साधू!!

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  3. आना और जाना ही जीवन है।अच्छी और सच्ची रचना।मौसम के ज़रिये जीवन चक्र का यथार्थ सामने रखा आपने।यंहा तो मौसम को पता नही क्या हो गया है।दीवाली आ गई है मगर दिन मे धूप इतनी तेज है कि लगता ही नही ठंड आ गई।

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  4. अंधड़ चलै, तूफ़ान मचायै कितनी भगदड़।
    आवेगा वसंत पुनः, जावैगा पतझड़।

    दोहावलि बहुत सुन्दर है।
    धनतेरस, दीपावली और भइया-दूज पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ!

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  5. अरे अनुराग भाई, ये तो बड़ी सुंदर कुंडली है...चलिए, हम इसे गुनगुनाकर देखते हैं।

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  6. आवेगा बसन्‍त पुन:

    जावेगा पतझड़। निश्चित ही बसन्‍त की जीत होगी। प्रेरक कुण्‍डलिनी। बधाई।

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  7. हमारे यहां भी यही हाल है, आज सुबह तो थोडी बर्फ़ भी गिरी है, लेकिन यह कब्रे ओर कंकाल हमारे यहां नही करते ऎसा.्कविता बहुत अच्छी लगी, ओर पतझड भी बहुत सुंदर सुंदर रंग दिखाता है.
    धन्यवाद
    आप को ओर आप के परिवार को दीपावली की शुभ कामनायें

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  8. हेलोविन के बारे मे और जानकारी अपेक्षित है । कुंडलियाँ अच्छी लगीं

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  9. अनुराग जी को प्रणाम,

    so the fall begins...आपक लिक्खा तो पहले भी...अहा!

    दीवाली की खूब सारी शुभकामनायें!

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  10. किसके रोके रुका है सवेरा ?

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  11. अनवरत पर आने और सांकेतिक तरीके से टाइपिंग की भूल बताने और सुधरवाने के लिए धन्यवाद!

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  12. टूटा हुआ पत्ता तो गया भले ही बसंत आ जाय ! ऐसे ही दिमाग पर दुसरी लाइन का असर ज्यादा हुआ.

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  13. दीपावली की बहुत-बहुत शुभकामनायें

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  14. अनुराग जी

    PAतझर की सुन्दर कल्पना है ........सुन्दर रचना से झिलमिला रहा है आपका ब्लॉग ......
    आपको और आपके पूरे परिवार को दीपावली की मंगल कामनाएं ...........

    दिगम्बर नासवा

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  15. सुन्दर रचना के लिये बधाई
    दीपावली की आपको व परिवार को शुभकामनायें

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  16. आपकी कुंडली पढ़ कर दिल बाग-बाग हो गया ।

    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ ।




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  17. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..............,शुभकामनायें.दिवाली और छठ पर्व की बधायी
    pls also visit krantidut.blogspot.com

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  18. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..............,शुभकामनायें.दिवाली और छठ पर्व की बधायी


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  19. बहुत सुंदर... पीट्सबर्ग के मौसम का हाल भी पता चल गया... नए साल की ढेर सारी बधाई..

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