Monday, March 31, 2014

अच्छे ब्लॉग - ज़रूरतों से आगे का जहाँ

नवसंवत्सर प्लवंग/जय, विक्रमी 2071, नवरात्रि, युगादि, गुड़ी पड़वा, ध्वज प्रतिपदा की हार्दिक मंगलकामनाएँ!

अच्छे ब्लॉग के लक्षणों और आवश्यकताओं पर गुणीजन पहले ही बहुत कुछ लिख चुके हैं। इस दिशा में इतना काम हो चुका है कि एक नज़र देखने पर शायद एक और ब्लॉग प्रविष्टि की आवश्यकता ही समझ न आये। लेकिन फिर भी मैं लिखने का साहस कर रहा हूँ क्योंकि कुछ बातें छूट गयी दिखती हैं। जैसा कि शीर्षक से स्पष्ट है, यह बिन्दु किसी ब्लॉग की अनिवार्यता नहीं हैं। मतलब यह कि इनके न होने से आपके ब्लॉग की पहचान में कमी नहीं आयेगी। हाँ यदि आप पहचान और ज़रूरत से आगे की बात सोचने में विश्वास रखते हैं तो आगे अवश्य पढिये। अवलोकन करके अपनी बहुमूल्य टिप्पणी भी दीजिये ताकि इस आलेख को और उपयोगी बनाया जा सके।

प्रकृति के रंग
कृतित्व/क़ॉपीराइट का आदर
हमसे पहले अनेक लोग अनेक काम कर चुके हैं। विश्व में अब तक इतना कुछ लिखा जा चुका है कि हमारी कही या लिखी बात का पूर्णतः मौलिक और स्वतंत्र होना लगभग असम्भव सा ही है। तो भी हर ब्लॉग लेखक को पहले से किये गये काम का आदर करना ही चाहिये। अमूमन हिन्दी ब्लॉग में चित्र आदि लगाते समय यह बात गांठ बान्ध लेनी चाहिये कि हर रचना, चित्र, काव्य, संगीत, फिल्म आदि अपने रचयिताओं एवम अन्य सम्बन्धित व्यक्तियों या संस्थाओं की सम्पत्ति है। अगर आप तुर्रमखाँ समाजवादी हैं भी तो अपना समाजवाद दूसरों पर थोपने के बजाय खुद अपनाने का प्रयास कीजिये, अपने लेखन को कॉपीराइट से मुक्त कीजिये। लेकिन हिन्दी ब्लॉगिंग में इसका उल्टा ही देखने को मिलता है। आश्चर्य की बात है कि अपने ब्लॉग पर कॉपीराइट के बड़े-बड़े नोटिस लगनेवाले अक्सर दूसरों की कृतियाँ बिना आज्ञा बल्कि कई बार बिना क्रेडिट दिये लगाना सामान्य समझते हैं।

विधान/संविधान का आदर
मैं तानाशाही का मुखर विरोधी हूँ, लेकिन अराजकता और हिंसक लूटपाट का भी प्रखर विरोधी हूँ। आप जिस समाज में रहते हैं उसके नियमों का आदर करना सीखिये। मानचित्र लगते समय यह ध्यान रहे कि आप अपने देश की सीमाओं को संविधान सम्मत नक्शे से देखकर ही लगाएँ। हिमालय को खा बैठने को तैयार कम्युनिस्ट चीन के प्रोपेगेंडापरस्त नक्शों के प्रचारक तो कतई न बनें। देश की संस्कृति, परम्पराओं, पर्वों, भाषाओं को सम्मान देना भी हमें आना चाहिए। हिन्दी के नाम पर तमिल, उर्दू या भोजपुरी के नाम पर खड़ी बोली का अपमान करने का अधिकार किसी को नहीं है, यह ध्यान रहे। अपनी नैतिक, सामाजिक, विधिक जिम्मेदारियों का ध्यान रखिए और किसी के उकसावे का यंत्र बनने से बचिए।

सौन्दर्य शिल्प
अ थिंग ऑफ ब्यूटी इज़ अ जॉय फोरेवर। कुछ ब्लॉगों को सुंदर बनाने का प्रयास किया गया है, अच्छी बात है। लेकिन कुछ स्थानों पर सौन्दर्य नैसर्गिक रूपसे मौजूद है। जीवन शैली या विचारधारा के अंतर अपनी जगह हो सकते हैं लेकिन अविनाश चंद्र, संजय व्यास, गौतम राजऋषि, किशोर चौधरी, नीरज बसलियाल, सतीश सक्सेना आदि की लेखनी में मुझे जादू नज़र आता है। एक अलग तरह का जादू सफ़ेद घर, स्वप्न मेरे, और बेचैन आत्मा के शब्द-चित्रों में भी पाता हूँ।

सत्यनिष्ठा
कई बार लोग ईमानदारी की शुद्ध हिन्दी पूछते नज़र आते हैं। उन्हें बता दीजिये कि धर्म-ईमान समानार्थी तो नहीं परंतु समांतर अवश्य हैं। आमतौर पर सत्यनिष्ठा के विकल्प के रूप में प्रयुक्त होने वाला शब्द ईमानदारी का शाब्दिक अर्थ सत्यनिष्ठा, कपटहीनता आदि न होकर अल्लाह में विश्वास और अन्य सभी में अनास्था है। मजहब, भाषा, क्षेत्र, राजनीति, जान-पहचान, रिश्ते-नाते, कर-चोरी, रिश्वत, भ्रष्टाचार, गलत-बयानी आदि के कुओं से बाहर निकले बिना सत्यनिष्ठा को समझ पाना थोड़ा कठिन है। मैं सत्यनिष्ठा  को एक अच्छे ब्लॉग का अनिवार्य गुण समझता हूँ। बिना लाग-लपेट के सत्य को स्पष्ट शब्दों में कहने का प्रयास स्वयं भी करता हूँ, और ऐसे अन्य ब्लॉगों को नियमित पढ़ता भी हूँ जहाँ सत्यनिष्ठा की खुशबू आती है। ऐसे लेखकों से विभिन्न विषयों पर मेरे हज़ार मतभेद हों लेकिन उनके प्रति आदर और सम्मान रहता ही है। घूघूती बासूती, ज्ञानवाणी, लावण्यम-अन्तर्मन, सुज्ञ, मैं और मेरा परिवेश, मयखाना, सच्चा शरणम्, बालाजी, सुरभित सुमन, शब्दों के पंख आदि कुछ ऐसे नाम हैं जिनकी सत्यनिष्ठा के बारे में मैं निश्शङ्क हूँ। (मयखाना ब्लॉग के उल्लेख को मयकशी आदि वृत्तियों का समर्थन न समझा जाये।)

क्षणिक प्रचार महंगा पड़ेगा
हर रोज़ अपने साथी ब्लॉगरों को, भारतीय संस्कृति, पर्वों, शंकराचार्य या मंदिरों को, देश के लोगों या/और संविधान को गालियाँ देना आपको चर्चा में तो ला सकता है लेकिन वह लाईमलाइट क्षणिक ही होगी। तीन अंकों की टिप्पणियाँ पाने वाले कई ब्लॉगर क्षणिक प्रचार के इस फॉर्मूले को अपनाने के बाद से आज तक 2-4 असली और 10-12 स्पैम टिप्पणियों तक सिमट चुके हैं। ठीक है कि कुछ लोग टिप्पणी-आदान-प्रदान की मर्यादा का पालन करते हुए आपके सही-गलत को नज़रअंदाज़ करते रहेंगे लेकिन जैसी कहावत है कि सौ सुनार की और एक लुहार की।

विश्वसनीयता बनी रहे
फेसबुक से कोई सच्चा-झूठा स्टेटस उठाकर उसे अपने ब्लॉग पर जस का तस चेप देना आसान काम है। चेन ईमेल से ब्लॉग पोस्ट बनाना भी हर्र लगे न फिटकरी वाला सौदा है। इससे रोज़ एक नई पोस्ट का इंतजाम तो हो जाएगा। लेकिन सुनी-सुनाई अफवाहों पर हाँजी-हूँजी करने के आगे भी एक बड़ी दुनिया है जहां विश्वसनीयता की कीमत आज भी है और आगे भी रहेगी। झूठ की कलई आज नहीं तो कल तो खुलती ही है। एक बात यह भी है कि जो चेन ईमेल आपके पास आज पहुँची है उसकी काट कई बार पिछले 70 साल से ब्रह्मांड के चक्कर काट रही होती है। बेहतरी इसी में है कि बेसिरपर की अफवाह को ब्लॉग पर पोस्ट करने से पहले उसकी एक्सपायरी डेट देख ली जाय।

विषय-वस्तु अधिकारक्षेत्र
हृदयाघात से मर चुके व्यक्ति के ब्लॉग पर अगर हृदयरोगों को जड़ से समाप्त करने की बूटी बांटने का दावा लिखा मिले तो आप क्या कहेंगे? कुरान या कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो के अनुयायी वेदमंत्रों का अनाम स्रोतों द्वारा किया गया अनर्थकारी अनुवाद छापकर अपने को धर्म-विशेषज्ञ बताने लगें तो कैसे चलेगा? कितने ही लोग नैसर्गिक रूप से बहुआयामी व्यक्तित्व वाले होते हैं। ऐसे लोगों का विषयक्षेत्र विस्तृत होता है। लेकिन हम सब तो ऐसे नहीं हो सकते। अगर हम अपनी विशेषज्ञता और अधिकारक्षेत्र के भीतर ही लिखते हैं तो बात सच्ची और अच्छी होने की संभावना बनी रहती है। अक्सर ही ऐसी बात जनोपयोगी भी होती है।

विषय आधारित लेखन
ब्लॉग लिखने के लिए आपका शायर होना ज़रूरी तो नहीं। अपनी शिक्षा, पृष्ठभूमि, संस्था या व्यवसाय किसी को भी आधार बनाकर ब्लॉग चलाया जा सकता है। हिन्दी में पाककला पर कई ब्लॉग हैं। भ्रमण और यात्रा पर आधारित ब्लॉगों की भी कमी नहीं है। जनोपयोगी विषयों को लेकर भी ब्लॉग लिखे जा रहे हैं। चित्रकारिता, फोटोग्राफी, नृत्य, संगीत, समर-कला, व्याकरण, जो भी आपका विषय है, उसी पर लिखना शुरू कीजिये। कॉमिक्स हों या कार्टून, विश्वास कीजिये, आपके लेखन-विषय के लिए कहीं न कहीं कोई पाठक व्यग्र है। लोग हर विषय पर लिखित सामग्री खोज रहे हैं।

नित-नूतन वैविध्य
कोई कवि है, कोई कहानीकार, कोई लेखक, कोई संवाददाता तो कोई प्रचारक। यदि आप किसी एक विधा में प्रवीण हैं तो उस विधा के मुरीद आपको पढ़ेंगे। लेकिन अगर आपके लेखन में वैविध्य है तो आपके पाठकवृन्द भी विविधता लिए हुए होंगे। विभिन्न प्रकार के पुरस्कारदाता आपको किसी एक श्रेणी में बांधना चाहते हैं। विशेषज्ञता महत्वपूर्ण है लेकिन उसके साथ-साथ भी लेखन में विविधता लाई जा सकती है। और यदि आप किसी एक विधा या विषय से बंधे हुए नहीं हैं, तब तो आपकी चांदी ही चांदी है। रचनाकार पर रोज़ नए लोगों का कृतित्व देखने को मिलता है। आलसी के चिट्ठे में रहस्य-रोमांच से लेकर संस्कृति के गहन रहस्यों की पड़ताल तक सभी कुछ शामिल है। मेरे मन कीकाव्य मंजूषा ब्लॉगों पर कविता, कहानी,आलेख के साथ साथ पॉडकास्ट भी सुनने को मिलते हैं। आप भी देखिये आप नया क्या कर सकते हैं।

सातत्य
यदि आप नियमित लिखते हैं तो पाठक भी नियमित आते हैं। टिप्पणी करें न करें लेकिन नियमित ब्लॉग पढे अवश्य जाते हैं। सातत्य खत्म तो ब्लॉग उजड़ा समझिए। आज जब अधिकांश हिन्दी ब्लॉगर फेसबुक आदि सोशल मीडिया की ओर प्रवृत्त होकर ब्लॉग्स पर अनियमित होने लगे हैं, सातत्य अपनाने वाले ब्लॉग्स चुपचाप अपनी रैंकिंग बढ़ाते जा रहे हैं। उल्लूक टाइम्स, एक जीवन एक कहानी जैसे ब्लॉग निरंतर चलते जा रहे हैं।

कुछ अलग सा
अपना लेखन अक्सर अद्वितीय लगता है। अच्छा लेखन वह है जो पाठकों को भी अद्वितीय लगे। उसमें आपकी जानकारी के साथ-साथ शिल्प, लगन और नेकनीयती भी जुड़नी चाहिए। असामान्य लेखन के लिए लेखन, वर्तनी और व्याकरण के सामान्य नियम जानना और अपनाना भी ज़रूरी है। किसी को खुश (या नाराज़) करने के उद्देश्य से लिखी गई पोस्ट अपनी आभा अपने आप ही खो देती है। इसी प्रकार किसी कहानी में पात्रों के साथ जब लेखक का अहं उतराने लगे तो अच्छी कथा की पकड़ भी कमजोर होने लगती है। किसी गजल या छंद को मात्रा के नियमों की दृष्टि से सुधारना अलग बात है लेकिन आपका लेखन आपके व्यक्तित्व का दर्पण है। उसके नकलीपन को सब न सही, कुछेक पारखी नज़रें तो पकड़ ही लेंगी। कुछ अलग से लेखन के उदाहरण के लिए मो सम कौन, चला बिहारी, शब्दों का डीएनए, उन्मुक्त, और मल्हार को पढ़ा जा सकता है। अलग सा लेखन वही है जिसे अलग सा बनाने का प्रयास न करना पड़े।

निजता का आदर
आपका ब्लॉग आपके व्यक्तित्व का दर्पण है। लोगों की निजता का आदर कीजिये। हो सकता है आप ही सबसे अच्छे हों। सारी कमियाँ आपके साथी लेखकों में ही रही हों। लेकिन अगर आपकी साहित्यिक पत्रिका के हर अंक में आपके एक ऐसे साथी की कमियाँ नाम ले-लेकर उजागर की जाती हैं जो या तो ऑनलाइन नहीं है, या फिर इस संसार में ही नहीं है तो इससे आपके साथियों के बारे में कम, आपके बारे में अधिक पता लगता है। इसी प्रकार जिस अनदेखे मित्र को आप सालगिरह मुबारक करने वाले हैं, हो सकता है वह आज भी उस आदमी को ढूंढ रहा हो, जिसने उसकी सालगिरह की तिथि सार्वजनिक की थी। लोगों की निजता का आदर कीजिये।

ट्रेंडसेटर ब्लॉग्स
अगर हर कोई कविता लिखने लगे, तो ज़ाहिर है कि पाठकों की कमी हो जाएगी। लेकिन अगर हर कोई पत्रिकाओं में छपना चाहे तो अधकचरे संपादकों के भी वारे-न्यारे हो जाएँगे। इसी तरह यदि हर ब्लॉगर किताब लिखना चाहेगा तो प्रकाशकों के ब्लॉग्स के ढूँढे पड़ेंगे। यदि आपका ब्लॉग भीड़ से अलग हटकर है, बल्कि उससे भी आगे यदि वह है जिसकी तलाश भीड़ को है तो समझ लीजिये कि आपने किला फतह कर लिया। इस श्रेणी का एक अनूठा उदाहरण है हमारे ताऊ रामपुरिया का ब्लॉग। मज़ाक-मज़ाक में सामाजिक विसंगतियों पर चोट कर पाना तो उनकी विशेषता है। लेकिन सबसे अलग बात है अपने पाठकों को ब्लॉग में शामिल कर पाना। ब्लॉग की सफलतम पहेली की बात हो, ब्लॉग्स को सम्मानित करने की, या ब्लॉगर्स के साक्षात्कार करने की, ताऊ रामपुरिया का ब्लॉग एक ट्रेंडसेटर रहा है।

बहुरूपियों के पिट्ठू मत बनिए
आपके आसपास बिखरी विसंगतियों को बढ़ा-चढ़ाकर आपकी भावनाओं का पोषण करने वाले मौकापरस्त सौदागरों के शोषण से बचने के लिए लगातार चौकन्ने रहना ज़रूरी है। लिखते समय भी यह ध्यान में रखना ज़रूरी है कि कहीं आपकी भावनाओं का दोहन किसी निहित स्वार्थ के लिए तो नहीं हो रहा है। कितनी ही बहुरूपिया, मजहबी और राजनीतिक विचारधाराओं के एजेंट अपनी असलियत छिपाकर अपने को एक सामान्य गृहिणी, जनसेवक, पत्रकार, शिक्षक, डॉक्टर या वकील जैसे दिखाकर अपनी-अपनी दुकान का बासी माल ठेलने में लगे हुए हैं। ज़रा जांच-पड़ताल कीजिये। विरोध न सही, उनकी धार में बह जाने से तो बच ही सकते हैं। जो व्यक्ति अपनी राजनीतिक या मजहबी प्रतिबद्धता को साप्रयास छिपा रहे हैं, उन्हें खुद अपनी विचारधारा की नैतिकता पर शक है। बल्कि कइयों को तो अपनी विचारधारा की अनैतिकता अच्छी तरह पता है। वे तो भोले ग्राहक को ठगकर अपने घटिया माल को भी महंगे दाम पर बेच लेना चाहते हैं। ऐसे मक्कारों का साथ, मैं तो कभी न दूँ। आप भी खुद बचें, दूसरों को बचाएं। ध्यान रहे कि इस देश में सैकड़ों क्रांतियाँ हो चुकी हैं। बड़े-बड़े कवि, लेखक, साहित्यकार भी मोहभंग के बाद कोने में पड़े टेसुए बहाते देखे गए हैं। उनकी दुर्गति से सबक लीजिये।

मौलिकता - कंटेन्ट इज़ किंग
अनुवादमूलक ब्लॉगस को छोड़ दें तो सार यह है कि आपका मौलिक लेखन ही आपकी विशेषता है। बल्कि, अच्छे अनुवाद में भी मौलिकता महत्वपूर्ण है। हिन्दी के दो बहु-प्रशंसित ब्लॉगों में हिंदीजेन और केरल पुराण शामिल हैं। ज्ञानदत्त पाण्डेय जी की मानसिक हलचल से अभिषेक ओझा के ओझा-उवाच तक, मौलिकता एक सरस सूत्र है। दूसरों के लेख, कविता, नाम पते, बीमारी या अन्य व्यक्तिगत जानकारी छापकर आप केवल अस्थाई प्रशंसा पा सकते हैं। कुछ वही गति राजनीतिक प्रश्रय, श्रेय पाने, या डाइरेक्टरी बेचकर पैसा कमाने के लिए बांटी गई रेवड़ियों की होती है। चार दिन की चाँदनी, फिर अंधेरी रात। अच्छा लिखिए, सच्चा लिखिए और मौलिक लिखिए, आपका लेखन अवश्य पहचाना जाएगा।

संबन्धित कड़ियाँ
* विश्वसनीयता का संकट
* लेखक बेचारा क्या करे?
* आभासी सम्बन्ध और ब्लॉगिंग

36 comments:

  1. chachu.........bahoot khoob ..........bahot accha hai ye lekh............

    99% sahmat hote hain...........'gar fursat wale kanpuriya' bhi hote to 100% sahmat hote...


    pranam.

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    1. कानुप्रिया की कहानियाँ मैं पढ़ता हूँ भतीजे। लेकिन ये मेरे पढे जाने वाले ब्लॉग की सूची नहीं है। उसके लिए कृपया यहाँ देखें:
      सर्वश्रेष्ठ हिन्दी ब्लॉग

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  2. एकदम खरी-खरी और सही बातें.

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    1. खुदा सलामत रक्खे हवाई जहाज़ बनाने वाले को
      अपने घर से बेघर कर दिया घर बनाने वाले को

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  4. ब्लागर्स के लिए यह आचार-संहिता है।

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  5. विस्तृत, बहुआयामी और बहुत उपयोगी ... ब्लोगर होना भी एक जिम्मेवारी से कम नहीं विशेष कर तब जब आप सार्वजनिक लिखते हैं ... अपनी विशिष्ट पहचान मेहनत और धैर्य से बनती है ...

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  6. आपकी इस प्रस्तुति को ब्लॉग बुलेटिन की आज कि बुलेटिन पोलियो मुक्त भारत, नवसंवत्सर, चैत्र नवरात्र - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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    1. धन्यवाद हर्षवर्धन

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  7. अच्छा और सारगर्भित लेख। इसके माध्यम से अच्छे ब्लॉग्स की जानकारी मिली। धन्यवाद

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  8. आपकी सलाहे पसंद आयीं , गंभीर ब्लोगिंग करने वालों के लिए उपहार है यह लेख !
    मौलिकता और कापी राइट पर लोगों को ध्यान देना चाहिए, फेस बुक तो कबाड़ से भरा पड़ा है बहुत कम जगह कुछ पढने लायक मिल पाता है , इधर उधर से कापी करने की आदत , हिंदी ब्लॉग जगत का सम्मान गिरा रही है ! मगर कई जगह बहुत सुंदर लिखा जा रहा है और उन्हें पढ़कर लगता है कि अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है !
    अगर आप जैस विद्वान से सम्मान मिले तो लिखना सफल सा लगने लगता है ! आभार अनुराग भाई ...

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  9. अच्छी सलाहें हैं . यूँ तो ब्लॉग अपने अपने, ख्याल अपने अपने.

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  10. आलेख का एक एक शब्द पढ़ा, सिर्फ पढ़ा ही नहीं बहुत कुछ सिखा !
    बहुत बहुत आभार इस लेख के लिए, आभार इसलिए नहीं कि इसमे "सुरभित सुमन' का नाम शामिल है आभार इसलिए कि हाँ मै सही राह पर जा रही हूँ, सात साल के इस अभिव्यक्ति के मार्ग पर आज मुझे इसकी सख्त जरुरत थी अनुराग जी,इस लेख से एक नया उत्साह,नयी ऊर्जा लेकर जा रही हूँ, ताकि बहुआयामी अभिव्यक्ति में बह सकूँ :)

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    1. आभार सुमन जी, आपके ब्लॉग से तो कितने ही पाठकों को ऊर्जा मिलती है।

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  11. समझने वाले के लिये इशारा काफी होता है आपने तो पूरा पूरा समझा भी दिया शुरु किया तो पढ़ता चला गया । खुश भी हुआ 'उलूक' का कहीं जब दिखा आपने जिक्र भी है किया । दिल से आभार।

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  12. बहुत से अच्छे ब्लाग के बारे में पता चला जो छिपे रह गये थे... गागर में सागर...

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  13. नवसम्वत्सर के प्रारम्भ में एक ऐसी पोस्ट पर खड़े होकर तालियाँ बजाने का जी चाहता है. आपने जिस तरह श्रेणीबद्ध रूप में ब्लॉग्स की चर्चा की है वह सचमुच प्रशंसनीय है. ये विशेषताएँ ही किसी लेखन को एक अलग पहचान देती हैं! कार्यालयीन व्यस्तताओं और स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों की रुकावट की मजबूरियों के बावजूद भी मैंने इसे जीवित रखने का प्रयास किया है.
    नव वर्ष की मंगल कामनाओं के साथ यह आशा करें कि नव वर्ष ब्लॉग जगत के लिये एक नया अध्याय लेकर आयेगा!! खोया गौरव प्राप्त करने जैसा कुछ!!

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    1. जी, तमसो मा ज्योतिर्गमय ...

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  14. नवसम्वत्सर के प्रारम्भ में एक ऐसी पोस्ट पर खड़े होकर तालियाँ बजाने का जी चाहता है. आपने जिस तरह श्रेणीबद्ध रूप में ब्लॉग्स की चर्चा की है वह सचमुच प्रशंसनीय है. ये विशेषताएँ ही किसी लेखन को एक अलग पहचान देती हैं! कार्यालयीन व्यस्तताओं और स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों की रुकावट की मजबूरियों के बावजूद भी मैंने इसे जीवित रखने का प्रयास किया है.
    नव वर्ष की मंगल कामनाओं के साथ यह आशा करें कि नव वर्ष ब्लॉग जगत के लिये एक नया अध्याय लेकर आयेगा!! खोया गौरव प्राप्त करने जैसा कुछ!!

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  15. सर आपका हृदय से धन्यवाद, नियमित रूप से ब्लाग जगत में ना होने के बावजूद मेरा ध्यान आपको रहा और मेरे ब्लाग में आपको ईमानदारी नजर आई। कोई शब्द नहीं है मेरे पास, थैंक्स

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    1. सौरभ, कुछ लोगों की ईमानदारी और सरलता छिपाए नहीं छिपती। आप एसे ही हैं।

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  16. ध्यान देने योग्य प्वाइंट्स हैं!

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  17. नवसंवत्सर पर शुभकामनाएँ। अनुकरणीय लेख।

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  18. अच्छे ब्लॉग्स लिखने में आपकी सलाहें बड़ी उपयोगी हैं !
    नव संवत्सर की अनेकानेक शुभकामनाये। नव वर्ष हिंदी ब्लॉग्स को भी नया आयाम दे।
    बहुत आभार !

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  19. सटीक बिंदुओं पर बात की आपने ..... ब्लॉग्स का संसार अब सूना सा होने लगा है .....

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  20. एक लड़के का किस्सा याद आता है जिसने कसम खाई थी कि जब तक अच्छे से तैरना न सीख लेगा, तब तक पानी में पैर नहीं रखेगा। सीखने के इच्छुक किसी भी स्तर के ब्लॉगर के लिये इस लेख में बहुत कुछ है। इस जगत में आने के बाद बहुत गलतियाँ भी हुई हैं और बहुत कुछ सीखा भी है।

    ’राजीव दीक्षित’ जी के बारे में मैं बहुत ज्यादा नहीं जानता लेकिन उनकी मृत्यु(?) एक रहस्य है(दूसरे बहुत से ऐसे रहस्यों की तरह ही)। इसलिये उस मामले में अपने विकल्प बंद नहीं हैं, आप ही की तरह मैं भी किसी बात को सिर्फ़ इसलिये सही नहीं मानता क्योंकि बहुत से लोग वैसा कह रहे हैं।
    यह लेख सोशल मीडिया पर लेखन की आचार संहिता जैसा है, इसके लिये आभार स्वीकार करें।

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    1. :) तैराकी के किस्से वाले लड़के से दशकों पुरानी पहचान है। किस्सा सही है परंतु कसम ज़रा भिन्न थी। दीक्षित जी से अपने एक नहीं अनेक मतभेद रहे हैं। लेकिन यह पोस्ट लिखने तक उन तक अपनी पहुँच नहीं है। दूसरे हकीम साब को देखा था क्योंकि वे अपने दरवाजे पर बुलाने आए थे। वैसे भी बात व्यक्ति की नहीं, मुद्दे की है और पहले गुजरे हुओं का पूरा आदर है।

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    2. सॉरी सर, मुझे लगा था आपका इशारा राजीव दीक्षित जी की तरफ़ था। रही बात हकीमों की तो कुछ पहुँचे हुये हकीम तो जाकर भी लौट आते हैं :)

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  21. एक बहुत ही जरूरी ब्लॉग पोस्ट है ये !

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  22. कूड़े-करकट से अलग कुछ अच्छे ब्लॉग छांटे आपने …… आभार

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  23. एक एक शब्द बहुत कुछ सिखा जाता है
    बहुत बहुत आभार इस लेख के लिए

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  24. बहुत ही गहन और विश्लेषणात्मक लेख है आपका
    बार बार पढकर अमल में लाया जाये तो लेखन की
    उपयोगिता अवश्य बढ़ेगी.

    आभार

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मॉडरेशन की छन्नी में केवल बुरा इरादा अटकेगा। बाकी सब जस का तस! अपवाद की स्थिति में प्रकाशन से पहले टिप्पणीकार से मंत्रणा करने का यथासम्भव प्रयास अवश्य किया जाएगा।