Tuesday, January 1, 2019

काव्य: संवाद रहे

अनुराग शर्मा 

नश्वरता की याद रहे
जारी अनहदनाद रहे

मन भर जाये दुनिया से
कोई न फ़रियाद रहे

पिंजरा टूटे पिञ्जर का
पक्षी यह आज़ाद रहे

न हिचके झुकने में, उनके
जीवन में आह्लाद रहे

कभी सीखने में न चूके
वे सबके उस्ताद रहे

जितनों की सेवा संभव हो
बस उतनी तादाद रहे

भूखे पेट न जाये कोई
और भोजन में स्वाद रहे

अहं कभी न जकड़ सके
कोई उन्माद रहे

कड़वी तीखी बातें भूलें
खट्टी मीठी याद रहे

कभी रूठ जायें वे
चलता सब संवाद रहे

घर से छूटे जिनकी खातिर
घर उनका आबाद रहे॥


नव वर्ष 2019 की मंगलकामनाएँ

11 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (09-01-2019) को "घूम रहा है चक्र" (चर्चा अंक-3211) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. धन्यवाद शास्त्री जी!

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  2. उत्तम सोच, सुन्दर काफिये और छोटी बहार अपना कमाल कर रही है ...
    भरपूर ग़ज़ल ... नव वर्ष की बधाई ...

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (09-01-2019) को "घूम रहा है चक्र" (चर्चा अंक-3211) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. नश्वरता की याद रहे
    जारी अनहदनाद रहे
    ...वाह..एक शाश्वत सत्य...गहन चिंतन के साथ ख़ूबसूरत ग़ज़ल..

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  5. वाह बहुत सुंदर

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  6. सिर्फ एक शब्द ...लाज़वाब !
    नव वर्ष की बधाई :)

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  7. नव वर्ष के लिए बहुत सुंदर कामनाएं..मानो दिल की गहराई से निकली दुआएं...!!

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