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मेरे शुभचिंतक
जुटे हैं दिलोजान से
मिटाने
बदनुमा धब्बों को
मेरे चेहरे से
शुभचिंतक जो ठहरे
लहूलुहान हूँ मैं
कुछ भी
देख नहीं सकता
समझा भी नहीं पाता
किसी को कि
ये धब्बे नहीं
मेरी आँखें हैं!
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प्रेमचन्द, कौशिक और सुदर्शन, इन तीनों ने हिन्दी में कथा साहित्य का निर्माण किया है।
~ भगवतीचरण वर्मा (हम खंडहर के वासी)
पण्डित बद्रीनाथ भट्ट "सुदर्शन" (1896-1967) |
“मेरी प्रार्थना केवल यह है कि इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना। ... लोगों को यदि इस घटना का पता चला तो वे दीन-दुखियों पर विश्वास न करेंगे।” ~ बाबा भारती (हार की जीत)मुख्य धारा के साहित्य-सृजन के अतिरिक्त उन्होंने अनेक फिल्मों की कथा, पटकथा, संवाद और गीत भी लिखे हैं। सन् 1935 में उन्होंने "कुंवारी या विधवा" फिल्म का निर्देशन भी किया था। इस फिल्म के देशभक्ति-भाव से ओत-प्रोत गीत "भारत की दीन दशा का तुम्हें भारतवालों, कुछ ध्यान नहीं ..." ने पराधीन भारत के फिल्म-दर्शकों के मन में देशप्रेम का एक ज्वार सा उत्पन्न किया। फिल्म धूप-छाँव (1935) के प्रसिद्ध गीत "तेरी गठरी में लागा चोर", "बाबा मन की आँखें खोल" आदि उन्ही के लिखे हुए हैं। इसी फ़िल्म में उनका लिखा और पारुल घोष, सुप्रभा सरकार और हरिमति का गाया गीत “मैं ख़ुश होना चाहूँ, हो न पाऊँ...” सही अर्थ में भारतीय सिनेमा का पहला प्लेबैक गीत था। सोहराब मोदी की प्रसिद्ध फिल्म सिकंदर (1941) सहित अनेक फिल्मों की सफलता का श्रेय उनके पटकथा लेखन को जाता है।
आइये सुनें उनकी एक फिल्मी रचना मन की आँखें खोल का पुनर्प्रस्तुतिकरण मन्ना डे के स्वर में
(मूल प्रस्तुति फिल्म धूप छांव में श्री केसी डे के स्वर में थी।)उनकी साहित्यिक रचनाओं में तीर्थ-यात्रा, पत्थरों का सौदागर, पृथ्वी-वल्लभ, बचपन की एक घटना, परिवर्तन, अपनी कमाई, हेर-फेर, सुप्रभात, सुदर्शन-सुधा आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। वे सन् 1950 में बने फिल्म लेखक संघ के प्रथम उपाध्यक्ष थे और सन् 1945 में महात्मा गांधी द्वारा प्रस्तावित अखिल भारतीय हिन्दुस्तानी प्रचार सभा वर्धा की साहित्य परिषद् के सम्मानित सदस्यों में से एक थे। उनका विवाह लीलावती देवी से हुआ था।
रेडियो प्लेबैक इंडिया पर पंडित सुदर्शन की कुछ कहानियाँ (ऑडियो)
* पण्डित सुदर्शन की "परिवर्तन"
* कालजयी रचना "हार की जीत"
* पंडित सुदर्शन की "तीर्थयात्रा
* साईकिल की सवारी - पंडित सुदर्शन
* पंडित सुदर्शन की "अठन्नी का चोर"
शिशिर कृष्ण शर्मा जी के ब्लॉग बीते हुए दिन पर प्रामाणिक जानकारी -
* कलम के सिकंदर: पण्डित सुदर्शन