मित्रों,
बातों ही बातों में पुराना साल कब निकल गया, पता ही न चला। देखते-देखते हम नव-वर्ष की पूर्व संध्या पर आ पहुँचे हैं. २००८ में मैंने एक कविता लिखी थी "कितना खोया कितना पाया।" दुहराव के डर से उसे यहाँ फ़िर से पोस्ट नहीं करूंगा। परन्तु उत्सुक जन कविता के शीर्षक पर क्लिक कर के उसे पढ़ सकते हैं।
गत वर्ष में बहुत कुछ हुआ - हमने कोसी की विनाशलीला भी देखी और पाकिस्तान से आए हैवानी आतंकवादियों की २६ नवम्बर की कारगुजारी भी, कश्मीर में आतंकवादियों की धमकियों और बयानबाजी का मुँहतोड़ जवाब देते हुए लोगों का शांतिपूर्ण मतदान भी देखा और चंद्रयान का सफल प्रक्षेपण भी। और भी बहुत कुछ दिया है इस साल ने। मैं बूढा तो भूल जाता हूँ, आप तो युवा हैं सब याद रखते हैं।
नए साल की पूर्व-संध्या पर कुछ संकल्प लेने की परम्परा सी बन गयी है। पहले तो मुझे यह बात समझ में नहीं आती थी लेकिन अब कुछ-कुछ समझने लगा हूँ। यदि संकल्प लेना ही है तो खुश रहने और अपने को बेहतर बनाने का संकल्प लेना पसंद करूंगा। २००८ में हिन्दी ब्लोगिंग शुरू की और बहुत से नए मित्रों से मिला जिनके साथ और कृपा से मेरा विकास ही होना है। क्या पता मेरा २००८ का ब्लॉग लिखना २००९ में पुस्तक लेखन में ही बदल जाए।
जिन लोगों ने कभी नए साल का संकल्प नहीं लिया या फ़िर कोई नई तरह का संकल्प लेना चाहते हैं, उनके लिए अपने अनुभव से निचोड कर कुछ सुझाव रखना चाहता हूँ।
कुछ ऐसा करिए जिससे आप में और समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन आए। कोई भी उम्र कम नहीं होती है। झांसी की रानी हों या भगत सिंह, उन्हें जीवन में इतने बड़े काम करने के लिए ३० साल का भी नहीं होना पडा था। जिन तांतिया टोपे के नाम से दुनिया का सबसे बड़ा साम्राज्य काँप रहा था। माना जाता है कि उन्हें दो बार फांसी दी गयी थी। अपने बलिदान के समय वे १८५७ के संग्राम के युवा नायकों में सबसे बड़े थे - ३९ वर्ष के।
कोई भी पद कम नहीं है, कोई भी काम छोटा नहीं है। अंग्रेजी फौज में एक मामूली सिपाही के पद पर काम करने वाले मंगल पांडे ने चर्बी वाले कारतूस को अपने दाँत से छूने नहीं दिया। बन्दा शहीद हो गया मगर उसकी फाँसी के साथ ही मुगलों, मराठों को हराने वाली "ईस्ट इंडिया कंपनी" का कभी न डूबने वाला सूरज हमेशा के लिए डूब गया।
सतही तौर पर ऐसा लगता है कि लेना आसान है मगर देना उससे भी आसान है। अगर सत्कार्य में देने को पैसा नहीं है तो समय दीजिये। और कोई दान नहीं तो रक्त-दान कीजिये। २००८ में हमारे एक बुजुर्ग का देहांत हुआ, उन्होंने अपनी आँखें दान कीं जिससे दो बच्चों को रोशनी मिली।
हम अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें। हो सके तो तैराकी या घुड़सवारी सीखें। जिम नहीं जा सकते तो घर में योगासन शुरू करें। इस साल के वृक्षारोपण में लगाए किसी सूख रहे पौधे को पानी देकर जमने लायक बना दें। बहुत दिनों से खोये हुए किसी पुराने मित्र को अचानक मिलकर आश्चर्यचकित कर दें, किसी चाय वाले छोटू को शतरंज खेलना सिखायेे या काम-वाली बाई के बेटे-बेटी की एक साल की कापी-किताबों का इंतजाम कर दें। जिस दिन भी शुरू करेंगे, आपको पता लगेगा कि एक छोटी सी शुरूआत से ही बड़े बड़े काम होते हैं:
बात तो आपकी सही है यह थोड़ा करने से सब नहीं होता
फिर भी इतना तो मैं कहूंगा ही कुछ न करने से कुछ नहीं होता
लिखने को बहुत कुछ है मगर बातें तो होती ही रहेंगी, कहीं भूल न जाऊँ इसलिए आज बस इतना ही कहता हूँ:
आपको, आपके परिवारजनों और मित्रों को नव-वर्ष की शुभकामनाएं!
आपकी इच्छा इस वर्ष में पूरी हो.
ReplyDeleteसच कह दिया जी। साथ ही आप और आपके परिवार को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteनव वर्ष मंगलमय हो जी!
ReplyDeleteकुछ ही पलों में आने वाला नया साल आप सभी के लिए
ReplyDeleteसुखदायक
धनवर्धक
स्वास्थ्वर्धक
मंगलमय
और प्रगतिशील हो
यही हमारी भगवान से प्रार्थना है
कुछ ही पलों में आने वाला नया साल आप सभी के लिए
ReplyDeleteसुखदायक
धनवर्धक
स्वास्थ्वर्धक
मंगलमय
और प्रगतिशील हो
यही हमारी भगवान से प्रार्थना है
बहुत खूब कहा नव वर्ष की संध्या में.
ReplyDeleteकहीं न कहीं, कभी न कभी तो शुरुआत करनी ही होती है,
तो अभी से क्यूँ नही
आप सब को नव वर्ष की शुभ -कामनाएं
आपको भी नववर्ष की शुभकामनाऐं
ReplyDeleteरंजन
http://aadityaranjan.blogspot.com
आपको भी नववर्ष की शुभकामनाऐं
ReplyDeleteरंजन
http://aadityaranjan.blogspot.com
नव वर्ष की पुर्व सन्ध्या पर आपकी यह पोस्ट मेरे लिहाज से आज की सबसे उत्तम पोस्ट है ! इस समय भारत मे रात के ९ बज चुके हैं और सिर्फ़ तीन घन्टे शेष हैं नया साल आने मे !
ReplyDeleteघर परिवार, नजदीकी मित्रों के साथ घर मे ही उपर छत पर एक छोटी सी पार्टी का आयोजन है ! अब सिस्टम बंद करके उपर जा ही रहे थे कि आपकी पोस्ट पर नजर पड गई ! और ये बहुत शानदार और विचार्णीय लेख है सामयिकता की दृष्टि से ! आपके सुझावो का यथेष्ट पालन करने की कोशीश करेंगे !
आपके इन सुझावों के लिये आपका धन्यवाद ! और नये साल की आपको परिवार सहित घणी रामराम !
नव वर्ष की आप और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं !!!नया साल आप सब के जीवन मै खुब खुशियां ले कर आये,ओर पुरे विश्चव मै शातिं ले कर आये.
ReplyDeleteधन्यवाद
आप को सपरिवार नव वर्ष की मंगलकामनाएँ।
ReplyDeleteहिन्दी ब्लोग जगत से जुडे सभी को ढेरोँ शुभकामना
ReplyDeleteआगामी वर्ष सुख शाँति दे
२००९ अब आया ही समझिये :)
और आपकी बातेँ सच्ची और अच्छी हैँ
स स्नेह,
- लावण्या
नववर्ष की शुभकामनायें आपको और आपके परिवार को। आपके पिट्सबर्ग के पास से ही (ग्रोव सिटी) हो आये हम ४ दिन पहले, इन को आपके पिट्सबर्ग-लेखन के बारे में बताया, ठहरने और देखने की इच्छा हुई, पर बाक़ी रह गया। अगली बार...
ReplyDeleteबहुत सार गर्भित लेख...वाह...
ReplyDeleteआप को भी नव वर्ष की शुभ कामनाएं
नीरज
नव वर्ष २००९ आपको मंगलमय हो आपका साहित्य सृजन खूब पल्लिवित हो
ReplyDeleteशुभ कामनाएं
प्रदीप मनोरिया
09425132060
अच्छा संदेश है, हमारी एक छोटी सी कोशिश किसी की ज़िंदगी बदल सकती है और किताब तो आप ले ही आएं।
ReplyDeleteआपको भी नववर्ष की शुभकामनाऐं
ReplyDeleteनववर्ष की आपको एवं आपके समस्त परिवार को मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाऎं.
ReplyDeleteपहने सपनों की विजय माल
हो बहुत मुबारक नया साल
नए साल की नई किरन
सब गान मधुर पावन सुमिरन
सब नृत्य सजे सुर और ताल
हो बहुत मुबारक नया साल
फिर से उम्मीद के नए रंग
भर लाएँ मन में नित उमंग
खुशियाँ ही खुशियाँ बेमिसाल
हो बहुत मुबारक नया साल
उपहार पुष्प मादक गुलाब
मीठी सुगंध उत्सव शबाब
शुभ गीत नृत्य और मधुर ताल
हो बहुत मुबारक नया साल
अत्यंत गम्भीर एवं सारगर्भित लेख है सर आपका. क्या कहना ! अति विचारणीय.
ReplyDeletenav varsh par aapko bhi mamari (including 'mullu') taraf se shubhkaamnaye!!
ReplyDeleteसुंदर कामना और सार्थक पोस्ट........ ईश्वर करें ,आपका यह संकल्प सबका संकल्प बने.जीवन सुंदर बने,लोग सुखी रहें.
ReplyDeleteआपको परिवार सहित नव वर्ष की अनंत शुभकामनाएं !
'नश्वर सृष्टि नष्ट हुई तो
ReplyDeleteनूतन जग निर्माण करें हम
गुजरी बातें छोडो अब तो
उठने का सामान करें हम।'
आपकी पिछले साल की पोस्ट अब पढ़ी. सुंदर रचना है. साधुवाद.