स्वर्गीय डॉ. अमर कुमार |
ब्लॉगिंग की बात जारी रखूँ तो इस बात की खुशी है कि कुछ निकट मित्रों के सहयोग से इस वर्ष एक सामूहिक ब्लॉग रेडियो प्लेबैक इंडिया की शुरूआत हुई जिस पर गीत संगीत, बोलती कहानियाँ और सभी प्रकार के ऑडियो, पॉडकास्ट आदि उपलब्ध हैं। इसी प्रकार इस वर्ष मैं करुणा, स्वास्थ्य और शाकाहार का प्रसार करने को प्रतिबद्ध निरामिष ब्लॉग से जुड़ सका।
भारतीय संस्कृति उत्सवप्रिय है। जहाँ तालिबानी मनोवृत्ति के लोग जब नव शारदा और नौरोज़ पर प्रतिबन्ध लगाने की बात करते हैं और पश्चिमी संस्कृति को मातृदिवस और पितृदिवस जैसे पर्व गढने पड़ते हैं वहीं हमारे एक वर्ष में 400 त्योहार आराम से मिल जायेंगे। वसुधैव कुटुम्बकम की परम्परा को नित नये उत्सवों के उल्लास में सम्मिलित होने में प्रसन्नता ही होती है। क्रिसमस और नव वर्ष के उत्सव की रोशनी के बीच जब मैने एक बेघर के दिल के अँधेरे में झांकने का अनगढ सा प्रयास किया तब याद आया कि न जाने कितने मित्र अपनी समस्याओं में उलझे हुए हैं। उनसे हमारा भौतिक सम्पर्क हो न हो, वे हमारी प्रार्थनाओं में हैं। ईश्वर उनपर कृपा करे और नववर्ष में उनका जीवन प्रसन्नता से भरे, यही कामना है। 2011 के खट्टे-मीठे अनुभव याद करते समय उन सभी लोगों का आभार भी कहना चाहता हूँ जो व्यक्तिगत लेन-देन से ऊपर उठकर सत्यनिष्ठा की समझ रखते हैं।
बेघरों की बात चलने पर श्रीमतीजी ने याद दिलायी व्हिटनी एलिमेंटरी स्कूल और उसकी प्राचार्या शैरी गाह्न (Sherrie Gahn) की। श्रीमती जी बड़े उत्साह से बताती रहीं कि किस प्रकार एक टीवी कार्यक्रम में शैरी की उपस्थिति मात्र से उनके विद्यालय के हर छात्र के लिये बैकपैक, स्कूल पुस्तकालय के लिये पुस्तकें और कम्प्यूटर तथा विद्यालय के लिये बहुत सा पैसा मिला। लास वेगास स्थित यह विद्यालय अमेरिका के किसी सामान्य विद्यालय से इस मामले में फ़र्क है कि वहाँ के 610 विद्यार्थियों में से 518 बेघर हैं।
आठ वर्ष पहले इस पाठशाला में आयीं शैरी का कहना है कि इससे पहले उन्होंने ऐसी ग़रीबी नहीं देखी थी। हालात सुधरने के बजाय हर साल बिगड़ते ही गये। अंततः उन्होंने समुदाय के वयस्कों से मिलकर यह प्रस्ताव रखा कि यदि वे अपने बच्चों की शिक्षा की ज़िम्मेदारी उन्हें दें तो वे बच्चों के भोजन-वस्त्रों की ज़िम्मेदारी स्वतः ही ले लेंगी। लगभग 500 दानदाताओं के सहयोग से शैरी इन बच्चों के वस्त्र, भोजन, केश-कर्तन, चिकित्सा जैसी सुविधायें दे सकी हैं। दानदाताओं में निम्न मध्यवर्ग के व्यक्तियों से लेकर बड़े व्यवसायी भी शामिल हैं। जहाँ एक महिला फ़िलाडेल्फ़िया से 20 डॉलर प्रतिमास भेजती हैं, वहीं एक स्थानीय जुआरी दो हज़ार डॉलर प्रतिमास देता है।
जब मैंने लंचटाइम में बच्चों को केवल सॉस/केचप/चटनी खाते और उसमें से कुछ बचाकर घर ले जाने का प्रयास करते देखा तो मेरा दिल दहल गया। (~प्राधानाचार्या शैरी गाह्न)पाप-नगर (sin city) के नाम से मशहूर और अनेक हिन्दी फ़िल्मों में दिखाये गये लास-वेगास नगर की तेज़ रोशनी और जगमगाते कसीनोज़ के पीछे 12% बेरोज़गारी छिपी है। फ़ोरक्लोज़र (गिरवी घर की किश्तें न दे सकने पर बैंक द्वारा कब्ज़ा करना) की दर सारे देश में सर्वाधिक है। अमेरिका में 12वीं कक्षा तक शिक्षा निशुल्क होते हुए भी बेरोज़गार माता-पिताओं के यह बेघर बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित रहे थे तो ज़ाहिर है कि महंगी कॉलेज शिक्षा पाना उनके लिये जादुई सपने से कम नहीं है। इस बात को ध्यान में रखते हुए शैरी के विद्यालय ने अपने बच्चों की कॉलेज शिक्षा के लिये एक कोश भी बनाया है जो योग्य बच्चों की फ़ीस का ध्यान रखेगा।
आप सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!नीचे के विडियो में आप शैरी को देख सकते हैं एक टीवी कार्यक्रम में अपने छात्रों के बारे में बात करते हुए। मानवता अभी जीवित है और सदा रहेगी!
The Ellen DeGeneres Show - Whitney Elementary School from Aaron Pinkston on Vimeo.
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