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ज़िंदा रहे हैं हम
तुम्हारे बगैर भी
गर जिंदगी इक आग के
दरिया का नाम है
ख़्वाबों में मिला करते हैं
तुमसे हमेशा हम
इसके सिवा न हमको तो
कुछ और काम है
तेरी है न मेरी है
दुनिया है यह फानी
हम तो हैं उस जहाँ के
जहाँ तेरा धाम है
पीने की आरजू क्या
हम ख़ाक करेंगे
तेरा जो साथ न हो तो
जीना हराम है।
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bahut badhiya rachana . dhanyawad.
ReplyDeleteकोई चार-पांच दिनों बाद आपके ब्लाग पर आ सका । आज आपकी कविता पढी । निम्नांकित पंक्तियां सुन्दर लगीं -
ReplyDeleteतेरी है न मेरी है
दुनिया है यह फानी
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पीने की आरजू क्या
हम ख़ाक करेंगे
तेरा जो साथ न हो तो
जीना हराम है।
आपकी कशिश को सलाम ।
...................
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता। बधाई
ReplyDeleteख़्वाबों में मिला करते हैं
ReplyDeleteतुमसे हमेशा हम
इसके सिवा न हमको तो
कुछ और काम है..acchhi kavitaa
मोहब्बत की इंतहा है।
ReplyDeleteसही है जी, जी तो रहे ही हैं! पर यह जीना भी क्या?
ReplyDeleteपीने की आरजू क्या
ReplyDeleteहम ख़ाक करेंगे
तेरा जो साथ न हो तो
जीना हराम है।
बेहद लाजवाब !
राम राम !
यथार्थ के करीब, सुंदर रचना
ReplyDeleteतेरी है न मेरी है
दुनिया है यह फानी
हम तो हैं उस जहाँ के
जहाँ तेरा धाम है
बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
ReplyDeleteसुंदर रचना .
ReplyDeleteिजंदगी की सच्चाई को आपने बडे मामिॆक तरीके से शब्दबद्ध किया है । अच्छा िलखा है आपने । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है-आत्मिवश्वास के सहारे जीतें िजंदगी की जंग-समय हो तो पढें और प्रितिक्रया भी दें-
ReplyDeletehttp://www.ashokvichar.blogspot.com
बहुत खुब.
ReplyDeleteधन्यवाद
आप कहानियाँ बहुत अच्छी लिखते हैं, कविता से ज़्यादा...
ReplyDeletesachchee anubhuti aur bhaav -
ReplyDeleteबहुत सुंदर हर बार की तरह .. बधाई
ReplyDeleteतेरा जो साथ न हो तो
ReplyDeleteजीना हराम है।
"" साथ और चाहत की सुंदर अभिव्यक्ति "
regards
तेरी है न मेरी है
ReplyDeleteदुनिया है यह फानी
वाह बहुत खूब।
तेरी है न मेरी है
ReplyDeleteदुनिया है यह फानी
हम तो हैं उस जहाँ के
जहाँ तेरा धाम है
क्या शब्द है...वाह....कमाल की रचना...
नीरज
तेरा जो साथ न हो तो
ReplyDeleteजीना हराम है !
बढ़िया !
अरे वाह ,तीन दिन बहार क्या रही ,वापसी में एकसाथ तीन कवितायें पढने को मिल गयीं.......
ReplyDeleteभावपूर्ण सुंदर पंक्तियाँ हैं कविता में..