जीवन का जो मर्म समझते
लम्बी तान सदा सोते न
दुनियादारी अपनाते तो
हम भी ऐसे हम होते न
तत्व एक कोयले हीरे में
रख कोयला हीरा खोते न
फल ज़हरीले दिख पाते तो
बीज कनक के यूँ बोते न
यदि सार्थक कर पाते दिन तो
रातों को उठकर रोते न।
(अनुराग शर्मा)
लम्बी तान सदा सोते न
दुनियादारी अपनाते तो
हम भी ऐसे हम होते न
तत्व एक कोयले हीरे में
रख कोयला हीरा खोते न
फल ज़हरीले दिख पाते तो
बीज कनक के यूँ बोते न
यदि सार्थक कर पाते दिन तो
रातों को उठकर रोते न।
(अनुराग शर्मा)
यदि सार्थक कर पाते दिन तो
ReplyDeleteरातों को उठकर रोते न।
द्वन्द की गहन और मार्मिक अभिव्यक्ति !
राम राम !
Wah kya khoob, bahut sundar!
ReplyDeleteसार्थक रचना!
ReplyDeleteकमाल दी रचना .
ReplyDeleteजीवन का जो मर्म समझते
ReplyDeleteलम्बी तान सदा न सोते
bahut badhiya bhavavyakti.
अति सुन्दर।
ReplyDeleteसुन्दर रचना है।बधाई।
ReplyDeleteयदि सार्थक कर पाते दिन तो
रातों को उठकर रोते न।
सार्थक शब्द लिये सार्थक कविता लगी
ReplyDeleteफल ज़हरीले दिख पाते तो
ReplyDeleteबीज कनक के यूँ बोते न
बहुत खुब
धन्यवाद
'तत्व एक कोयले हीरे में
ReplyDeleteरख कोयला हीरा खोते न'
bahut khuub likha hai
यदि सार्थक कर पाते दिन तो
ReplyDeleteरातों को उठकर रोते न।
" भावनात्मक और सार्थक अभिव्यक्ति "
फल ज़हरीले दिख पाते तो
ReplyDeleteबीज कनक के यूँ बोते न
बहुत सुंदर कविता,
अच्छे बोल, अच्छे भावः
शानदार लिखा है आपने !
ReplyDeleteतिवारी साहब का सलाम कबूल किजिये !
फल ज़हरीले दिख पाते तो
ReplyDeleteबीज कनक के यूँ बोते न
बहुत खूब ..सार्थक कविता
फल ज़हरीले दिख पाते तो
ReplyDeleteबीज कनक के यूँ बोते न
कई लोग तो इसके बाद भी 'बीज कनक के' बोते रहते हैं ।
आपने अच्छी बात कही ।
बहुत बहुत सही लिखा है आपने...
ReplyDeleteसुंदर सार्थक पंक्तियाँ काबिले तारीफ हैं.
wah wah 100 times wah
ReplyDeleteजिस दिन समझ जायोगे जीवन का मर्म उस दिन नींद भी नही आएगी
ReplyDeleteसार्थक पंक्तियाँ सुंदर विचार
ReplyDeleteyadi saarthak kr paate din to,
ReplyDeleteraato ko utth kr rote na...!
bahot umda aur meaari nazm
mubarakbaad !!
---MUFLIS---
सुन्दर सार्थक कविता !
ReplyDeleteअद्भुत!!
ReplyDeleteनमस्कार..अभिषेक के बज़ से शिक्षकदिवस पर कार्बन कथा(चला बिहारी ब्लॉगर बनने) पढ़ने निकले वहाँ से यहाँ आ पहुँचे..हमारे लिए तो ब्लॉग़जगत भी शिक्षक-जगत से कम नहीं...आभार
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