टूटे हैं तार सब सितारों के
गीत बनता नहीं न राग मिले
दिल है सूना मैं फिर भी जिंदा हूँ
ज़िंदगी का कोई सुराग मिले
खुशियाँ रूठी हैं जबसे तुम रूठे
वापसी हो तो फिर बहार मिले
दिल में बैराग सा उफनता रहा
तुम जो आओ तो अनुराग मिले
लाश मेरी ये जल नहीं सकती
बर्फ पिघले तो थोड़ी आग मिले।
(~अनुराग शर्मा)
" अजीब सा इतफाक हो गया आज तो लगता है "
ReplyDeleteटूटे हैं तार सब सितारों के
गीत बनता नहीं न राग मिले
हर गीत अधुरा तुम बिन मेरा,
साजों मे भी अब तार नही.." क्या कहेंगे आप???
दिल तो सूना है फ़िर भी जिंदा हैं
ReplyDeleteज़िंदगी का कोई सुराग मिले।
बहुत खूब।
दिल में वैराग सा उफनता रहा
ReplyDeleteतुम जो आओ तो अनुराग मिले
बहुत बढ़िया ...
बर्फ पिघले तो थोडी आग मिले।
ReplyDeleteसबको थोड़ी सी बर्फ पिघलने का इंतेज़ार है.. बहुत खूब कहा आपने
लाश मेरी ये जल नहीं सकती
ReplyDeleteबर्फ पिघले तो थोडी आग मिले।
सर जी, ये एक शेर ही काफ़ी है आज के लिए. बहुत ही बढ़िया.
बहुत उम्दा रचना है।बधाई।
ReplyDeleteदिल में वैराग सा उफनता रहा
तुम जो आओ तो अनुराग मिले
लाश मेरी ये जल नहीं सकती
बर्फ पिघले तो थोडी आग मिले।
लाश मेरी ये जल नहीं सकती
ReplyDeleteबर्फ पिघले तो थोडी आग मिले।
good composition
regards
ज़िंदगी का सुराग ढूंढ़ लिया आपने।
ReplyDeleteदिल तो सूना है फ़िर भी जिंदा हैं
ReplyDeleteज़िंदगी का कोई सुराग मिले।
बहुत सुंदर!!!!
लाश मेरी ये जल नहीं सकती
ReplyDeleteबर्फ पिघले तो थोडी आग मिले।
यूँ तो सारी ही पंक्तियाँ सुंदर हैं
पर ये पंक्तियाँ लाजवाब हैं
अच्छी शायरी को सलाम
पत्थरों को रगड़ कर दिखाओ दोस्तों
ReplyDeleteबर्फ पिघलाने को कुछ आग चाहिए।
यूँ तो सारी ही पंक्तियाँ सुंदर हैं
ReplyDeleteपर ये पंक्तियाँ लाजवाब हैं
लाश मेरी ये जल नहीं सकती
बर्फ पिघले तो थोडी आग मिले।
बहुत सुन्दर लिखा है। वाह
ReplyDeleteदिल में वैराग सा उफनता रहा
ReplyDeleteतुम जो आओ तो अनुराग मिले
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वाह! वैसे विराग और अनुराग - दोनो के मूल में राग है!
खुशियाँ रूठी हैं जबसे तुम रूठे
ReplyDeleteवापसी हो तो फ़िर बहार मिले
दिल में वैराग सा उफनता रहा
तुम जो आओ तो अनुराग मिले
सुन्दरतम अभिव्यक्ति ! लाजवाब ! शुभकामनाएं !
वाह ! वाह ! वाह ! बहुत ही सुंदर भावाभिव्यक्ति. सुंदर रचना पठान की सुअवसर हेतु आभार.
ReplyDeleteटूटे हैं तार सब सितारों के
ReplyDeleteगीत बनता नहीं न राग मिले...
बहुत सुंदर कविता.
धन्यवाद
'तुम जो आओ तो अनुराग मिले'
ReplyDeleteसुन्दर भावनाएं । उदासी में भी उत्फुल्लता । सुन्दर ।
tum ek baar kuch kehdo to aane ka marg mile. Sundar rachna, bahut bahu badai.
ReplyDeleteBahut Sunder aur sachche bhaav
ReplyDeleteAameen !
ReplyDeleteबेहतरीन सोच के संग रुच कर रची गयी यह कृति मन को छूती है !
लाश मेरी ये जल नहीं सकती
ReplyDeleteबर्फ पिघले तो थोडी आग मिले।
क्या बात कही है अनुराग जी !!
Wah wa.., bahut umda
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