मैं कौन था मैं कहाँ था, इसका अब क्या मतलब
चला कहाँ कहाँ पहुँचा, इसका अब क्या मतलब
ठिकाना दूर बनाया कि उनसे बच के रहें
कपाट तोड़ के आयें, इसका अब क्या मतलब
ज़हर भरा हो किसी के दिलो-दिमाग में गर
बस दिखावे की मुलाक़ात का अब क्या मतलब
किया क्यों खून से तर, मेरा क़त्ल किसने किया
गुज़र गया हूँ, सवालात का अब क्या मतलब
मुझे सताया मेरी लाश को तो सोने दो
मर गया तब भी खुराफात का अब क्या मतलब।
(अनुराग शर्मा)
चला कहाँ कहाँ पहुँचा, इसका अब क्या मतलब
ठिकाना दूर बनाया कि उनसे बच के रहें
कपाट तोड़ के आयें, इसका अब क्या मतलब
ज़हर भरा हो किसी के दिलो-दिमाग में गर
बस दिखावे की मुलाक़ात का अब क्या मतलब
किया क्यों खून से तर, मेरा क़त्ल किसने किया
गुज़र गया हूँ, सवालात का अब क्या मतलब
मुझे सताया मेरी लाश को तो सोने दो
मर गया तब भी खुराफात का अब क्या मतलब।
(अनुराग शर्मा)
मुझे सताया मेरी लाश को तो सोने दो
ReplyDeleteमर गया तब भी खुराफात का अब क्या मतलब
अनुराग भाई बहुत खूब, क्या मतलब कविता और मक्ता कमाल का असर पैदा कर रहा है, भाई.
मुझे सताया मेरी लाश को तो सोने दो
ReplyDeleteमर गया तब भी खुराफात का अब क्या मतलब।
एक बेहद संवेदनशील नाजुक अभिव्यक्ति...
Regards
मुझे सताया मेरी लाश को तो सोने दो
ReplyDeleteमर गया तब भी खुराफात का अब क्या मतलब।
जवाब नही इस अभिव्यक्ति का ..वाकई लाजवाब !
रामराम!
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteकिया क्यों खून से तर, मेरा क़त्ल किसने किया
ReplyDeleteगुज़र गया हूँ, सवालात का अब क्या मतलब
अनुराग जी
आप की कलम से निकली एक और सुंदर, यथार्त की करीब रचना
मुझे सताया मेरी लाश को तो सोने दो
ReplyDeleteमर गया तब भी खुराफात का अब क्या मतलब
लाज़बाब कविता शुक्रिया
मुझे सताया मेरी लाश को तो सोने दो
ReplyDeleteमर गया तब भी खुराफात का अब क्या मतलब
लाज़बाब कविता शुक्रिया
लगता है, आपको अपनेवालों ने बहुत सताया है ।
ReplyDeleteकविता के शब्द-शब्द से मनोव्यथा टपक रही है ।
सुन्दर रचना ।
मैं कौन था मैं कहाँ था, इसका अब क्या मतलब
ReplyDeleteचला कहाँ कहाँ पहुँचा, इसका अब क्या मतलब
बहुत बढ़िया लिखा है आपने ...
एक और अच्छी रचना
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति हुई है....बधाई।
ReplyDeleteमुझे सताया मेरी लाश को तो सोने दो
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पंक्तिया हैं मित्र।
एक सरल और सच्ची अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबात अच्छी और सच्ची है
ReplyDeleteमुझे सताया मेरी लाश को तो सोने दो
ReplyDeleteमर गया तब भी खुराफात का अब क्या मतलब
bahut khoob.....bahut achhe
मनोव्यथा की सहज और सुंदर अभिव्यंजना है.
ReplyDeleteबहुत खूब..खूबसूरत शायरी..शब्दों का प्रवाह रुकने नहीं देता।
ReplyDeleteमुझे सताया मेरी लाश को तो सोने दो
ReplyDeleteमर गया तब भी खुराफात का अब क्या मतलब।
क्या बात है मर के भी चेन नही, बहुत भाव पुर्ण आप की कविता.
धन्यवाद
ज़हर भरा है तुम्हारे दिलो-दिमाग में गर
ReplyDeleteबस दिखावे की मुलाक़ात का अब क्या मतलब
अपने मन के भावों की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति की आपने.
बधाई..
सुन्दर !
ReplyDeleteक्या बात है...सुभान्ल्लाह
ReplyDeleteअरे अब तो खूनो गारत से हट कर कुछ बात करो
ReplyDeleteसहमे दिल को धड़कने दो ,अमनो चैन की बात करो |
अनुराग,
ReplyDelete...... सवालात का अब क्या मतलब
बहुत ही अच्छी पंक्तियां है.
मुकेश कुमार तिवारी