दर्द मेरा न वो ताउम्र कभी जान सकेबेपरवाही यही उनकी मुझे मार गई॥
तेरे मेरे आँसू की तासीर अलहदा है बेआब नमक सीला, वो दर्द से पैदा है |
और उनके वजूहात को भी जानता हूँ मैं
पर उनके बहाने से जब टूटती हो तुम
बेवजहा बहुत मुझसे जो रूठती हो तुम
तुम मुझको जलाओ तो कोई बात नहीं है
अपनी उँगलियों को भी तो भूनती हो तुम
ये बात मेरे दिल को सदा चाक किए है
यूँ तुमसे कहीं ज़्यादा मैंने अश्क पिये हैं
मिटने से मेरे दर्द भी मिट जाये गर तेरा
तो सामने रखा है तेरे सुन यह सर मेरा
तेरे दर्द का मैं ही हूँ सबब जानता हूँ मैं
सब दर्द तेरे सच हैं सखी, मानता हूँ मैं।