पहले तो देरी के लिए आप सब से क्षमा चाहूंगा। युगादि से लेकर राम नवमी का समय बहुत ही व्यस्त था। दैनिक कार्यों के अलावा लगभग हर शाम को कहीं न कहीं कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी था जिसमें उपस्थिति अनिवार्य थी। कल एक स्थानीय मन्दिर में (देर से मनाये गए) युगादि समारोह के संपन्न होने के साथ ही वह अस्थायी व्यस्तता पूरी होने को आयी और मैं एक बार फिर अपने ब्लॉग-मित्रों से मुखातिब हूँ।
इस बीच काफी कुछ घटा। हमारे डाउनटाऊन में स्थानीय पुलिस ने नशीली दवाओं के एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया। बीसिओं लोग गिरफ्तार हुए और नौबत नगर के बीचों-बीच स्थित कुछ रेस्तराओं को स्थायी रूप से बंद कराने तक जा पहुँची। अंततः सहमति इस बात पर बनी कि वे रेस्तरां अब अपने यहाँ बंदूकधारी चौकीदारों को रखेंगे ताकि पुलिस की अनुपस्थिति में भी किसी भी स्थिति से स्वयं निबट सकें।
जिस समय नगर के ह्रदय में यह सब हो रहा था, लगभग उसी समय नगर के बाहर के एक व्यस्त उपनगर में इससे बिल्कुल अलग कुछ घट रहा था। मगर क्रेनबेरी उपनगर की उस घटना की बात करने से पहले आपको इतना बता दूँ कि अमेरिका की पुलिस की वाहवाही ब्रिटेन में भी हो रही है।
हुआ यूँ कि ऑक्सफ़ोर्डशायर के एक लड़के ने एक अमेरिकी लडकी से चैट करते हुए यह उगल दिया कि वह आत्महत्या करने वाला है। लडकी ने यह बात अपनी माँ को, माँ ने स्थानीय पुलिस को, पुलिस ने राष्ट्रपति भवन को, राष्ट्रपति भवन ने ब्रिटिश दूतावास को और दूतावास ने ऑक्सफ़ोर्डशायर की पुलिस को बताई। आनन्-फानन में पुलिस लड़के के घर पहुँच गयी जहाँ वह नशीली दवाओं की घातक खुराक लेकर बेहोश पडा था। समय पर की गयी कार्रवाई के कारण उस लड़के की जान बच गयी।
क्रेनबेरी में क्या हुआ, वह लिखने के लिए मुझे अपने मन को थोडा संयत करना पडेगा इसलिए जल्दी ही वापस आता हूँ।
[इस शृंखला के सभी चित्र अनुराग शर्मा द्वारा लिए गए हैं. हरेक चित्र पर क्लिक करके उसका बड़ा रूप देखा जा सकता है.]==========================================
इस्पात नगरी से - अन्य कड़ियाँ
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आपकी व्यस्तता अब कम हुई जानकर अच्छा लगा कि अब पुर्ववत आप ब्लागजगत मे मिलते रहेगें. अमेरीकी पुलिस का बहुत ही सराहनिय प्रयास है. बधाई उनको. और पिटसबर्ग के समाचार तो आज हमारे यहां के लोकल समाचार पत्रों मे भी आये हैं. आप्के अगले लेख मे विस्तृत जानकारी का इन्तजार करते हैं.
ReplyDeleteरामराम.
मदद तभी असरकारक साबित होती है जब समय पर मिले।ये तो वंहा के लोगो की जागरूकता है जो उस लड़के की जान बच गई।
ReplyDeleteवृतांत की भाषा बहुत पसंद आई।
ReplyDeleteबहुत सुंदर लगा आप क लोट के आना... बहुत सुंदर लिखा आप ने.
ReplyDeleteधन्यवाद
ऑक्सफ़ोर्डशायर के लड़के की जान बच गयी। सिर्फ इस लिए कि सूचनातंत्र ने अपना काम किया। वास्तविकता तो यह है कि हम जरूरी सूचनाओं को पुलिस और प्रशासन तक पहुँचाने में कोताही करते हैं। सुधीजनों को चाहिए कि वे ऐसी जानकारी और सूचनाएँ जो काम आ सकती हैं सही स्थान पर पहुँचाएँ। मैं अक्सर यह करता हूँ कि सूचनाएँ प्रशासन और पुलिस को मेल करता हूँ। नतीजा यह होता है कि उन पर प्रसंज्ञान लिया जाता है और कुछ न कुछ कार्यवाही भी होती है।
ReplyDeleteयहां हिन्दुस्तान में प्रसाशन की स्थिति को देखते हुए तो वहां की ये घटना किसी आश्चर्य से कम नहीं लगती....आगामी लेख की प्रतीक्षा रहेगी.
ReplyDeleteप्रभावी प्रस्तुति।
ReplyDeleteहमें लगता है कि भारत और पकिस्तान को छोड़ बाकी सभी जगह जन्नत ही हैं. अच्छा लगा.
ReplyDeleteचलिए नेट भी काम की चीज है मान लिया जाये :-)
ReplyDeleteदूसरी किस्त का इन्तिज़ार है
"हुआ यूँ कि ऑक्सफ़ोर्डशायर के एक लड़के ने एक अमेरिकी लडकी से चैट करते हुए यह उगल दिया कि वह आत्महत्या करने वाला है। लडकी ने यह बात अपनी माँ को, माँ ने स्थानीय पुलिस को, पुलिस ने राष्ट्रपति भवन को, राष्ट्रपति भवन ने ब्रिटिश दूतावास को और दूतावास ने ऑक्सफ़ोर्डशायर की पुलिस को बताई। आनन्-फानन में पुलिस लड़के के घर पहुँच गयी जहाँ वह नशीली दवाओं की घातक खुराक लेकर बेहोश पडा था। समय पर की गयी कार्रवाई के कारण उस लड़के की जान बच गयी।"
ReplyDeleteइस प्रकार का समाजोपयोगी लेख प्रकाशित करने के लिए आपका धन्यवाद।
आज तो कमेन्ट में बस इतना ही कहना चाहूँगा।
शाबाश पुलिस!!!!!!!
"नशे का कारोबार विश्व व्यापी हो रहा है.......पुलिस की भूमिका सराहनीय है....इस संधर्भ मे ...."
ReplyDeleteRegards
आपकी अनुपस्थिति असहज कर रही थी। प्रतिदिन विचार आता रहा कि आपको मेल करूं। किन्तु मैं भी 31 मार्च के लालच में फंस कर अपनी बात आप तक नहीं पहुंचा पाया।
ReplyDeleteसूचना के आधार पर एक युवक के प्राण बचाने का जो विवरण आपने दिया है वह तो हमारे यहां फिल्मों में ही देखने को मिलता है।
अगली कडी जल्दी उपलब्ध कराइएगा।
आपकी अनुपस्थिति असहज किए हुए थी किन्तु इसे व्यक्त नहीं कर पाया। मैं भी 31 मार्च की लालची भागदौड में व्यस्त जो रहा।
ReplyDeleteसूचनाओं के आधार पर एक युवक के प्राण बचाने का जो विवरण आपने दिया है वैसा तो हमारे यहां केवल फिल्मों में ही दिखाई देता है।
अगली कडी जल्दी उपलब्ध कराइएगा।
इतना पढ़कर तो मुंह से यही निकला........वाह व्यवस्था !!!
ReplyDeleteआगे का भाग शीघ्र पढ़वाइये....प्रतीक्षा रहेगी...
आपने बिल्कुल सही लिखा है सूचना तंत्र का यह तो सीधा फ़ायदा है और आप्की अगले भाग की प्रतिक्षा है.
ReplyDeleteरामराम.
पता नहीं किस दिन भारत में भी ऐसा हो सकेगा.
ReplyDeleteपता नहीं किस दिन भारत में भी ऐसा हो सकेगा.
ReplyDeleteपता नहीं भारत में किस दिन ऐसी व्यवस्था हो पायेगी.
ReplyDeleteपता नहीं भारत में किस दिन ऐसी व्यवस्था हो पायेगी.
ReplyDeleteरोचक वर्णन।
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तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
येक ये पुलीस और एक हमारी। उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव जितना अन्तर!
ReplyDeleteउस युवा की जान बच गई - ये जान कर खुशी हुई - आगे का इँतज़ार है
ReplyDeleteयुगादी की शुभकामनाएँ और रामनवमी की भी
- लावण्या
दुर्भाग्य पूर्ण घटना किन्तु सार्थक रूप से आपके द्वारा प्रकाश में लाने पर हार्दिक धन्यबाद
ReplyDeleteविगत एक माह से ब्लॉग जगत से अपनी अनुपस्तिथि के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ
राम नवमी की शुभेच्छा.
ReplyDeleteकेनबेरी की घटना के इंतेज़ार में...संवेदनशील घटनाओं को आपके कलम का अगर साथ मिल जाये तो वह हृदयस्पर्शी अवसर होगा.
वाह ! वाकई सराहनीय काम किया है पुलिस ने !
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