चित्र व शब्द: अनुराग शर्मा
बीतते हुए वर्ष की
अंतिम रात्रि
यूँ लगती है
जैसे अंतिम क्षण
किसी जाते हुए
अपने के
साथ तो हैं पर
साथ की खुशी नहीं
जाने का गम है
सच पूछो तो
यही क्या कम है!
सच पूछो तो
यही क्या कम है!
नववर्ष 2016 आप सबके जीवन में सफलता, समृद्धि और खुशियाँ बढ़ाये
नव वर्ष की शुभकामनाएँ
ReplyDeleteनव वर्ष शुभ हो मंगलमय हो ।
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (02-01-2016) को "2016 की मेरी पहली चर्चा" (चर्चा अंक-2209) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
नववर्ष 2016 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
nav varsh ki shubhkamnaye :)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteनव वर्ष मंगलमय हो!
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteशब्द और चित्र दोनों कमाल , हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteसुन्दर व सार्थक रचना ..
ReplyDeleteनववर्ष की बधाई!
मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...
सब एहसासों के साथ फिर भी जाना है उसे ...
ReplyDeleteवन वर्ष मंगलमय हो ...