Sunday, November 3, 2024

लेखक को जानिये - अनुराग शर्मा के कुछ और साक्षात्कार

9 जुलाई 2019 को प्रकाशित साक्षात्कार-वार्ताओं की शृंखला में कुछ और विडियो यहाँ प्रस्तुत हैं।
विडियो Video

अनुराग शर्मा का रचनापाठ तथा वार्ता - साहित्य अकादमी के प्रवासी मञ्च कार्यक्रम में
Pravasi Manch featuring Anurag Sharma at Sahitya Akademi in New Delhi




अनुराग शर्मा और पूजा अनिल से साहित्यकार आशा पांडेय ओझा, ओसियाँ (उदयपुर) का संवाद
Asha Pandey Ojha, in discussion with Pooja Anil and Anurag Sharma



संज्ञा टंडन तथा अनुराग शर्मा से उषा छाबड़ा की वार्ता (गुफ़्तगू पर)
Guftagu - Usha Chhabra, in discussion with Sangya Tandon and Anurag Sharma



अनुराग शर्मा का एकल वक्तव्य: भारतेतर हिंदी की चुनौतियाँ (सर्व भाषा ट्रस्ट पर)
Anurag Sharma talking at Sarv Bhasha Trust



अनुराग शर्मा को राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान (मध्य प्रदेश प्रशासन द्वारा)
Anurag Sharma gets National Nirmal Verma Award for 2023



अनुराग शर्मा रवींद्र भवन,भोपाल में आयोजित राष्‍ट्रीय हिन्‍दी भाषा सम्‍मान अलंकरण समारोह में
Anurag Sharma (Hindi Diwas, Sept 14, 2024)



अनुराग शर्मा राष्‍ट्रीय हिन्‍दी भाषा सम्‍मान अलंकरण समारोह में सम्मानित
Anurag Sharma honored at Hindi Diwas, Sept 14, 2024



फ़ेसबुक पर: हिंदी के वर्तमान स्वरूप पर चर्चा - कारण और निवारण
हिंदी दिवस,सितंबर 17, 2023 पर आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति की अमेरिका इकाई का आयोजन



Sunday, April 14, 2024

खिलाते नहीं (हिंदी ग़ज़ल)

अनुराग शर्मा

अनुराग शर्मा

कदम राजपथ से हटाते नहीं
गली में मेरी अब वे आते नहीं।

कहीं सच में आ ही न जाये कोई
किसी को बेमतलब बुलाते नहीं।

अंधेरे में खुश नापसंद रोशनी 
खिड़की से परदा उठाते नहीं।

नहीं होने देंगे कसक में कमी
घावों को दिल से मिटाते नहीं।

जो बातें हुईं और न होंगी कभी
उन्हें भी कभी भूल पाते नहीं।

भावुक बहुत हैं कृपालु नहीं
कभी भाव अपना गिराते नहीं।

उसूलों के पक्के सदा से रहे
खाते बहुत हैं, खिलाते नहीं॥

Saturday, March 30, 2024

हमसे छिपाते हैं (हिंदी ग़ज़ल)

अनुराग शर्मा

अनुराग शर्मा


दुनिया को जताते हैं, पर हमसे छिपाते हैं
इल्ज़ाम-ए-तोताचश्मी हमपर ही लगाते हैं।

आती हवा का झोंका, उन्हें छूके हमको छू ले
वो इतने भर से हम पर अहसान जताते हैं।

सारा जहाँ हमारा, है जिनका सबसे वादा 
बन ईद का वो चंदा बस मुझको सताते हैं।

पुल सबके लिए बनते दीवार मेरी जानिब 
दिल मेरा सरे बाज़ार, क्यूँ इतना दुखाते हैं।

मेरे लिये वो मोती, हम उनके लिये मिट्टी 
उनके लिये ही अपना, हम भाव गिराते हैं।

फिर भी कहीं कभी जो, अटकेगा काम कोई 
दम घुटने लगे मेरा, प्यार इतना लुटाते हैं।

चाहें तो अभी ले लें, चाहें तो बख्श दें सर
यह जान जिनपे हाज़िर, वो जान न पाते हैं॥