Thursday, August 11, 2011

अपोस्ट से आगे - कुपोस्ट तक

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ब्लॉगिंग में आने से सबसे बडा लाभ मुझे यह हुआ कि ऐसे बहुत से अनुभवीजनों से परिचय हुआ जिनकी प्रतिभा को शायद वैसे कभी जान ही न पाता। शुरुआत के ब्लॉग-मित्रों में से बहुत से अब अनियमित हैं। लेकिन फिर भी बहुत कुछ अच्छा लिखा जा रहा है। छतीसगढ के राहुल सिंह जी को पढते हुए मुझे बहुत समय नहीं हुआ है परंतु उनके लेखन से प्रभावित हूँ। उनकी ब्लॉग प्रविष्टियाँ अक्सर गम्भीर आलेख होते हैं। लेकिन अभी उनके यहाँ प्रॉलिफ़िक लेखन पर एक रोचक "अपोस्‍ट" पढा। पढने के बाद ब्लॉग-जगत के भ्रमण पर निकला तो मेरी इस अपोस्ट/कुपोस्ट/कम्पोस्ट के लिये विद्वत-ब्लॉगरी के कुछ क्लासिक उदाहरण देखने को मिले। आपके साथ साझा कर रहा हूँ।
तारीफ़ उस खुदा की जिसने जहाँ बनाया
आभार गूगल का जिसने जहाँ दिखाया
संपादकीय नोट: मेरी इस अपोस्ट/कुपोस्ट् में मौलिकता ढूंढने की कोशिश शायद बेकार ही जाये। जनहित में सभी पात्रों के नाम और घटनाओं के स्थान बदल दिये गये हैं। अभिव्यक्ति का मूल स्वरूप बरकरार रखने का पूरा प्रयास किया है। जहाँ भाषा इतनी जर्जर थी कि उठ न सके केवल वहीं उसे ममीफ़ाई किया गया है इसलिये, कृपया वर्तनी, मात्रा आदि पर टिप्पणी न करें :)
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- आज जब लिखने बैठे तो हमेशा की तरह कोई विषय तो था नहीं, लेकिन जब दिल से लिखना हो तो किसी विषय की जरुरत नही पडती! हम जो कुछ लिख दें वही विषय बन जाता है।

- आज सुबह हमने लेखक ज़, घ, क और ग को ईमेल करके बता दिया है कि जिस विषय को हमने कभी पढा ही नहीं उस विषय के बारे में उनकी लिखी हर बात ग़लत है।

- हमें तीन दिन से ज़ुकाम था, आज हमारी नाक 73.43971 बार बही। प्लमर मित्र से एक टोटी मुफ़्त लगवाने की सोच रहे हैं।

- शादियों का सीज़न है, सो चाट-पकोडी ज़्यादा खा लिये हम। आज सुबह सवा चार कप कॉफ़ी पीने के बाद भी नित्यक्रिया नहीं हुई। चाय हम पीते नहीं, उसमें टेनीन नामक नशीला पदार्थ होता है

- आज एक डॉक्टर ने लाइन तोडकर अन्दर आ जाने के लिये हमें फ़टकार दिया। अब हम अगली तीन पोस्ट ऐलोपथी के साइड-इफ़ैक्ट्स पर लिखेंगे।

- बचपन में हमारे योगा-टीचर ने हमें डांटा था, तब से हम योग और योगाचार्यों के खिलाफ़ हो गये हैं। घुटने में दर्द है, याद्दाश्त बढाने की गोली लेने लगे हैं।

- हमारी पोस्ट "क" पढने के लिये हमारी पोस्ट "ज़" पर चटका लगायें और इस प्रकार कभी न टूटने वाला चक्र चलायें।

- पिछले महीने हम प्यारेलाल जी से मिले थे। तब से उन्होने इस मुलाकात पर 7 पोस्ट लिख डाली हैं। अब हम भी उनसे मुलाकात पर 77 पोस्ट लिखेंगे।

- सब जानना चाहते हैं कि हम इतनी सारी ब्लॉग पोस्ट कैसे लिख लेते हैं। उन्हें पता नहीं है कि हमारे पास टिप्पणियों की संख्या बढ़ाने की भी कई तरकीब है। हम उन्हें इस्तेमाल भी करते हैं। लेकिन आपको बताने से हमें क्या फायदा?

- अब हम भी ताऊ की तरह पहेली पूछा करेंगे। प्रस्तुत है आज की गुणा-भाग पहेली, भागकर भूले की प्रसिद्द पुस्तक भ्रम जादू पहेली से निराभार। एक साल में यह मेरी 5000 वीं पोस्ट है, मतलब हर रोज़ एक पोस्ट। क्या आपको पता है कि तीन सप्ताह में कितने अंडे होते हैं?

- आज हमने अम्मा से कह दिया कि हम उनकी एक नहीं सुनेंगे। वे टोकती रहीं लेकिन हम ड्राइक्लीन करे हुए नीले सूट के साथ भूरे बरसाती बूट और मजगीली कमीज़ पहनकर ही दफ़्तर गये। ग़नीमत थी कि बॉस छुट्टी पर था वर्ना हमारी भी छुट्टी हो जाती।

- मुद्दत बाद आज हमारा रोल्स रॉयस चलाने का सपना पूरा हो गया। हमने अपनी साइकिल पर ऍटलस का नाम खुरचवाकर रोल्स रॉयस लिखवा लिया है।

- पिछली पोस्ट में हमने बताया था कि मन खट्टा होने के कारण आजकल हम ब्लॉगर मिलन में नहीं जाते लेकिन ब्लॉगर सम्मान समिति का ईमेल आने पर कल हम चले तो गये परंतु वहाँ की अव्यवस्था से कुपित होकर हमने अपना भाषण नहीं पढा। उनके छोले-भटूरे भी एकदम बेस्वाद थे। अब हम अगले ब्लॉगर मिलन में बिल्कुल नहीं जायेंगे क्योंकि इस बार हमें वीआइपी सीट भी नहीं दी गयी थी और मुख्य अतिथि चुनने से पहले हमसे सलाह भी नहीं की गयी थी।

- कामवाली बाई की अम्मा मर जाने के कारण आज वह काम पर नहीं आयी, सो आज अपनी किताबों को हमने खुद ही झाड़ लिया।

- आज हमने सरकारी बैंक में लाइन में लगकर पैसा निकाला जबकि ब्रांच मैनेजर हमसे जूनियर ब्लॉगर है। दूर खडा देखता रहा मगर पास नहीं आया। हमने भी ऐसे जताया जैसे हम उसे जानते ही न हों। अब हम उसके ब्लॉग पर टिप्पणी नहीं किया करेंगे।

- वैसे धर्म-कर्म को तो हम पाखण्ड ही मानते हैं लेकिन ब्लॉग जगत में अपने गुट की मजबूती के लिये आज हम लस्सी-उपवास पर हैं। वैसे भी दिसम्बर में लस्सी की दुकान बन्द रहती है।

- पडोस में रहने वाली एक लडकी ने आज हमे अंग्रेज़ी में ईमेल किया। ग़नीमत है कि टिल्लू की अम्मा को अंग्रेज़ी नहीं आती है।

- अपने को विद्वान समझने वाला एक शख्स ने बताया कि ईमेल, ब्लॉगिंग और इंटरनैट शब्द हिन्दी के नहीं हैं। तब हमने उसकी बात नहीं मानी लेकिन अब हमें लगता है कि ईमेल, ब्लॉगिंग और इंटरनैट हिन्दी को असंगत और महत्वहीन बनाने की अमरीकी साजिश है।

- आजकल हम भी अपने नाम से एक किताब छपाने की सोच रहे हैं, सामग्री के लिये टिल्लू को अखबारों की कतरनें इकट्ठी करने के काम पर लगा दिया है। जब तक सामग्री तैयार हो, आप लोग एक टॉप-क्लास बेस्ट सेलर टाइटल सुझाइये शुद्ध हिन्दी में।

- कल अजब इत्तफ़ाक़ हो गया, आप सुनेंगे तो जल भुन के राख हो जायेंगे। हमारी मुलाकात महान ब्लॉगर माधुरी दीक्षित नेने से हुई थी, सपने में।

- आजकल हम मॉडर्न हो गये हैं। अपने ब्लॉग पर कंटेंट कम और विज्ञापन अधिक लगाते हैं।

- कल हमने सस्ता स्वास्थ्य का प्रवेशांक पढा। आज हम जल्दी सो जायेंगे और कल सुबह देर से उठेंगे।

- कल तो वाकई कमाल हो गया। इलाके के सफ़ाई कर्मचारी ने हमें सलाम करके पूछा, कैसे हैं नेता जी। बाद में 50 रुपये पेशगी ले गया।

- आजकल हम गान्धीवादी हो गये हैं। अपने विरोधियों के ब्लॉग से असहयोग और उनकी टिप्पणियों की सविनय अवज्ञा करते रहते हैं। फिर भी नहीं मानेंगे तो गान्धीगिरी करते हुए उन्हें गूलर के फूल भेंटेंगे। अगर फिर भी नहीं मानेंगे तो उन्हें जम के पीटेंगे।

- वैसे तो बाबू सकुचाया लाल की तुकबन्दी हमारी तुकबन्दी से बेकार ही होती है। फिर भी उसने पाँच सौ में हारमोनियम वाले का आयोजन करवाकर अपना सम्मान समारोह करवा लिया है। अब हमने भी तय कर लिया है कि ब्लॉगर कोटा से काग़ज़ खरीदकर अपने सम्मानपत्र खुद छपवाकर खुद ही हस्ताक्षर कर लेंगे।

- आजकल हमारी कार का दरवाज़ा चर्र-मर्र की आवाज़ करता है, पता नहीं क्यों? मिस्त्री से पूछा तो उसने बताया कि हमारी शायरी पर इरशाद-इरशाद कहता है।

- पाठकों की बहुत शिकायतें आ रही हैं कि आजकल हमारे ब्लॉग पर भूत,पलीत, जिन्नात वगैरा के किस्से नहीं होते। हम उन्हें बताना चाहते हैं कि पिछले हफ्ते से यहाँ भी विज्ञान का ज़माना शुरू हो गया है। आगे से सारे आलेख विज्ञान-विकीपीडिया से हूबहू टीपीकृत होंगे।

- हम तीसमारखाँ ब्लॉगर अवार्ड के पक्ष में नहीं हैं। तीसमारखाँ होने में क्या बडी बात है? हमने तो ब्लॉगिंग के पहले दिन ही तीस पोस्ट लिख मारी थीं।

- सम्पादक-शिरोमणि श्री चिर्कुट लाल जी की हर नई पोस्ट पर पहली टिप्पणी हमारी ही होती है। सुना है इस बार का चिरकुट-टिप्पणी पुरस्कार हमें ही मिलने वाला है। वैसे हमारे मित्र होने के नाते अगर आप भी इस बारे में उनसे सिफ़ारिश लगा दें तो यह काम आसानी से हो जायेगा।

- इस बाल दिवस / लेबर डे पर हमें बाल-श्रम विरोध समारोह में भाषण देने जाना था मगर जा नहीं सके। कम्बख्त छोटू ने हमारी लकी कमीज़ जला दी थी। उसके बाप से पैसे की भरपाई में काफ़ी टाइम बेकार हो गया और मूड भी खराब हो गया।

[आभार: राहुल सिंह जी, सुनील कुमार जी, ब्‍लागाचार्य जी, टिप्पणीमारकर जी, उस्ताद जी और विद्वान व/वा बुद्धिजीवी हिन्दी ब्लॉगरों का]

[क्रमशः]
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सम्बन्धित कड़ियाँ
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* कहें खेत की सुनैं खलिहान की
* हिन्दी ब्लॉगिंग में विश्वसनीयता का संकट
* अंतर्राष्ट्रीय निर्गुट अद्रोही सर्व-ब्लॉगर संस्था

40 comments:

  1. हा हा बढ़िया कुपोस्ट रही ये तो....सारे राज़ उजागर कर डाले :)

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  2. Beautiful satire !...Enjoyed reading .

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  3. इस निर्मल हास्य की अगली कड़ी (सिक्वल) का इंतजार है। हा हा हा

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  4. इसमें कुछ और भी जोड़ लें:
    १. ब्लॉग जगत में कई वास्तविक रिश्ते बनाए हैं मैंने. और हर रिश्ते पर एक पोस्ट!
    २. बेटी का होम वर्क बनवा रहा था तो बेटी ने मेरा इंटरव्यू लिया और मैं भी मशहूर हो गया!
    ३. ये देखिये मेरे बेटे की पेंटिंग.. सचमुच बचपन से ही उसके कलाकार बनाने के लक्षण दिखाई देने हैं!!
    ४. लोग भिखारियों पर दया नहीं दिखाते हैं और अनदेखा करके निकल जाते हैं.
    ५. मेरी पत्नी बिलकुल मेरी बिटिया की माँ की तरह है.
    ६. कुछ गणितीय पोस्टें-जैसे आज मैंने ५५५५५वाँ शब्द टाइप किया, मुझे अब तक ११११११ शब्दों की टिप्पणियाँ मिलीं आदि!!

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  5. Thanks for unique style for scattering the humor ,through bunch of attractive comments . Thanks pardesi cum desi friend. bahut -2
    mubarak .

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  6. वाह....
    अपोस्ट का मजा है......
    और कुपोस्ट का कुछ और ...

    लीजिए हमरी कु-टीप झेलिये.

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  7. बहुत खराब पोस्ट :))
    [कुपोस्ट की तारीफ़ में तो ये ही लिखा जाता है ]

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  8. यह अपोस्ट तो सुपोस्ट हो गई। बढिया है जी॥

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  9. मेरी अपोस्‍ट पोस्‍ट के यहां फीके पड़ जाने (आपकी पोस्‍ट और टिप्‍पणियों से) की खुशी से फूला नहीं समा रहा हूं.

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  10. वाह, एक साथ कई ब्लॉगों पर टहलने का मजा आ गया।

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  11. सारी पोल आज ही खोल दोगे या कुछ छोड़ोगे भी कल के लिए ! शुभकामनायें आपको !

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  12. यह पूँजीवादी मानसिकता की साजिश है - तमाम ब्‍लॉगरों को बेकार कर देने की।

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  13. बहुत बढ़िया..... :) कभी कभी कुपोस्ट भी ज़रूरी है....

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  14. :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :) :)
    मुझे आभास तो था कि आप इस पर खुल कर आयगें और आये भी तो क्या खूब आये ...
    ब्लागिंग इसी का नाम है बाबू !

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  15. बहुत खूब! मजे आ गये यह पोस्ट पढ़कर! :)

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  16. आज तो समा ही बांध दिया! आपके झोले में तो कमाल के ब्‍लाग है, हम तो इन सबसे चूके हुए हैं। रक्षाबंधन की बधाई।

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  17. a-post ke bahane ku-post ko lane se
    lekar su-post banane ka rochak varnan

    pranam.

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  18. १- रक्षा बंधन , स्वतंत्रता दिवस जन्माष्टमी और छुट गये सभी तीज त्योहारों की अग्रिम बधाई !
    २- लोगों में आज कल कितनी संवेदना कम हो गई है :(
    ३- आम आदमी ये आम आदमी वो
    वैसे लिस्ट और भी लंबी हो सकती है :)

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  19. majaa aaya, bahut prafullit hai man is post ko paddhkar... wah!...

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  20. :)

    अद्भुत छायावाद भी है इस पोस्ट में तो.

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  21. ये अंदाज पहले बार दिखा, इसीलिये कहते हैं कि लिखने की कला हो तो आदमी कुछ भी लिख सकता है, परमानंद आगया अनुज.

    रामराम.

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  22. आपकी इस भावमयी पोस्ट की चर्चा हमारे मंच से कब होगी ये तो पता नहीं पर अगली दो पोस्ट के लिए मसाला सूझ गया है :)

    आप और राहुल सिंह जी ने पोस्ट लेखन के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं :)

    ब्लागजगत के इतिहास में यह पल स्वर्णाक्षरों से अंकित रहेगा :)

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  23. कुपोस्ट ज़रा समझ से बाहर रही क्यों की कुपोस्ट पसंद ही नहीं ! सबसे बड़ी बात यह है की कौन कितना समझा , यह भी समझ न आया ! सही और परोक्ष तो टिपण्णी कह ही देती है , फिर ऐसी सुपोस्त और कुपोस्ट क्यों !गुस्ताकी माफी

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  24. बहुत अच्छी प्रस्तुति है!
    रक्षाबन्धन के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  25. कितना कुछ सीखने को मिल रहा है इस पोस्ट पर।

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  26. ये कुपोस्त है या गडबड झाला ...
    जो भी है मजेदार है अनुराग जी ... निर्मल हास्य ...

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  27. आपको क्या लगता है, हम मान जाऊंगा? ना जी, हम तो ये सब अब भी लिखता रहूँगा:)

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  28. रहने दो छोडो भी जाने दो यार....

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  29. vaah ji...vaah...kai post likhne ka idea mil gaya....

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  30. अच्छा तो ये बात है , भाई वाह... वैसे मेरी समझदानी अब जाके खुली है ! साधुवाद !

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