Friday, January 27, 2012

पीतल नगरी, पोलियो और पाकिस्तान [इस्पात नगरी से 54]

एक, दो, नहीं पूरे छः दशक लगे ग्लोबल विलेज में इस एक छोटी सी यात्रा को ... यात्रा अभी पूरी हुई या नहीं, यह पता लगने में अभी दो वर्ष और लगेंगे। तब तक ज़रूरी है एहतियात। खासकर पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और नाइजीरिया से।

पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय में पोलियो टीका बना था
सन 1952 में जोनास साल्क (Jonas Salk) ने पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय में एक क्रांतिकारी खोज की थी। पोलियो के टीके की इस खोज की आधिकारिक घोषणा 1955 में हुई। यह इस खोज का ही परिणाम था कि सारी दुनिया को अपनी ज़द में लेने वाला पोलियो धीरे-धीरे सिमटता गया। और सिमटते-सिमटते भी यह जिन क्षेत्रों में बचा रह गया उनमें भारतीय उपमहाद्वीप के क्षेत्र भी शामिल हैं। पोलियो के खात्मे की बात हो या चेचक की, या फिर तपेदिक और कोढ जैसी बीमारियों की बात हो, और चाहे बात हो प्लेग के पुनरागमन की या सुपरबग की, स्वास्थ्य और महामारी के क्षेत्र में हमारी जनता का भाग्य काफ़ी कमज़ोर रहा है। कारणों पर मैं नहीं जा रहा क्योंकि अभी मित्रों को बिना वजह नाराज़ नहीं करना चाहता। लेकिन इतना ज़रूर सोचने को कहूँगा कि इस्पात नगरी पिट्सबर्ग से शुरू हुए टीके को पीतल नगरी मुरादाबाद तक अपना काम पूरा करने में 60 साल क्यों लगे? वैसे एक सवाल यह भी हो सकता था कि क्या कभी ऐसा समय भी आयेगा जब इस्पात नगरी की स्वास्थ्य समस्या का हल पीतल नगरी से चले? आपको क्या लगता है?

12 जनवरी 2011 के बाद से अब तक भारत में पोलियो का कोई नया उदाहरण नहीं मिला है जिससे यहाँ भी इसके खात्मे की सम्भावना प्रबल होती जा रही है। यदि हम लगभग दो और वर्षों तक पोलियो-मुक्त रह पाये तब यह माना जा सकेगा कि भारत में पोलियो समाप्त हो गया है। हाँ, जब तक यह रोग पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के पड़ोसी देशों में मौजूद है तब तक वहाँ से चले मानव-वाहकों द्वारा इसके पुनरागमन की आशंका बरकरार रहती है। इसके अलावा नाइजीरिया तीसरा और अंतिम पोलियोग्रस्त देश है। नाइजीरिया से भी बहुत से लोग, विशेषकर छात्र भारत आते रहे हैं। पिछले साल का अंतिम केस पश्चिम बंगाल में मिला था।  काश हम टीबी और कुष्ठरोग का भी सामना इसी प्रकार कर पायें।

63वें गणतंत्र दिवस पर एक और महामारी से मुक्ति की खबर आशाजनक है। वैसे भी स्वतंत्रता से अब तक हमने बहुत उन्नति की है जिसके लिये हमें अपने महान राष्ट्र पर गर्व होना ही चाहिये। और जो अब तक नहीं हो सका है उसकी प्राप्ति की अनुकूल दिशा में प्रयास बनाये रखने चाहिये।


पाकिस्तान सीमा पर आगंतुकों को पोलियो के टीके
सम्बन्धित कड़ियाँ
* इस्पात नगरी से - शृंखला
* मैं पिट्सबर्ग हूँ
* दिमागी जर्राही बरास्ता नाक

15 comments:

  1. @63वें गणतंत्र दिवस पर एक और महामारी से मुक्ति की खबर आशाजनक है।

    इस आशावादी पोस्ट के लिए साधुवाद.

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  2. एक गम्भीर प्रेरणादायी चिंतन!!

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  3. पिछले १७-१८ साल से लगे हैं इस काम है .
    अब जाकर आशा की किरण नज़र आई है .
    पोलिओ उन्मूलन वास्तव में बड़ा काम है .

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  4. पता नहीं उपाय आते आते इतनी देर क्यों हो जाती है भारत में..

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  5. isi tarah bahut si bimaariyon se mukti ki aavshyaktaa hai

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  6. भारतवर्ष ने दुनिया को जीरो दिया, हमारे वैज्ञानिक ऐसे थे-वैसे थे, हमारी सभ्यता और शिक्षा दुनिया के लिए मिसाल थी.. ओशो कहते हैं कि जब कोइ राष्ट्र पास्ट-टेंस यानि भूतकाल में बात करने लगे तो समझना चाहिए कि उसका विकास अब चुक गया है. गाड़ी चलाते समय रियर व्यू मिरर की बड़ी उपयोगिता है, लेकिन रियर व्यू मिरर देखते हुए गाड़ी नहीं चलाई जा सकती!
    वो समय होता (पास्ट टेंस में ही बात कर रहा हूँ) तो कह सकता था कि पीतल नगरी से निदान संभव है.. लेकिन आज... संभव नहीं! कारणों पर तो मैं भी अपनी बात नहीं रखना चाहता!!

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  7. सच में उम्मीद जगाती खबर..... सार्थक चिंतन

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  8. भारत रिपोर्टों पर चलता है. भूख से मौत होती है, लेकिन कागजों में कोई फन्ने खां बीमारी लिख दी जाती है. पोलियो मुक्त होने का प्रमाणपत्र तो जारी हो जाता है लेकिन केस फिर भी हो जाते हैं. पोलियो ड्रॉप के बारे में यह फैला दिया गया कि इससे नपुंसकता होती है. और न जाने कितनी जगह दवाई पिलाने वाले पिटे. धन्य हम. अच्छा होगा यदि १२ जनवरी के बाद भी किसी केस की रिपोर्ट न मिले.

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  9. आशाजनक खबर विश्वास को मजबूत करती हैं।

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  10. आशाजनक रिपोर्ट!
    वैसे दूरदराज के गावों में कुछ जगहें शायद अभी भी बची हों जहां पोलियो के टीके न लगें हो!

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  11. अच्छा लगा जान के की पोलियो का टीका आपके शहर से निकला और भारत में तो खुशी की लहर ले ही आया ...
    बसंत पंचमी की मंगल कामनाएं ...

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  12. यह सचमुच सुकून वाली खबर है कि पोलियो तो विदा हुआ हमारे देश से...और इसके लिए किए गए प्रयासों की सराहना की जानी चाहिए. उम्मीद है स्मॉल पॉक्स..पोलियो की तरह और भी कुछ रोग हमेशा के लिए हमारी सरजमीं छोड़ जायेंगे .

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  13. चलिए कम से कम एक सुखद खबर तो मिली आज..मुझे ये सब बातें मालुम भी न थी..

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  14. बहुत ही प्रसन्‍नतादायक और सुखद सूचना दी है आपने। हम लोग यदि 'भाग्‍य और भगवान भरोसे' बैठना कम कर दें (क्‍योंकि बन्‍द तो कर ही नहीं सकते) तो सब कुछ सम्‍भव है - इस्‍पात नगरी की समस्‍याओं का निदान पीतल नगरी से भी।

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  15. स्थानीय समाचार में मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से पोलियो की खबर आती है तो दिल घबरा जाता है , पता नहीं आंकड़े क्या कहते हैं..?

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