संस्कृत और फारसी पर हुई पिछली दो वार्ताएं "हज़ार साल छोटी बहन" और "पढ़े लिखे को फारसी क्या?" बहुत सार्थक रही हैं। उन्हें आगे जारी रखेंगे। इस बीच में एक सत्रह साल पुराने मित्र की तरफ़ से एक पुरानी कविता सुनने का आग्रह ईमेल से आया था। उनके सम्मान में यह कविता यहाँ रख रहा हूँ। अच्छा कवि तो नहीं हूँ। पर ज़िंदगी से सीख रहा हूँ - अच्छी, बुरी जैसी भी लगे, कृपया बताएं ज़रूर। सुधार की जो भी गुंजाइश हो बेबाक लिखें। धन्यवाद!
मैं कौन था मैं कहाँ था, इसका अब क्या मतलब
चला कहाँ कहाँ पहुँचा, इसका अब क्या मतलब
ठिकाना दूर बनाया कि उनसे बच के रहें
कपाट तोड़ घुस आयें, इसका अब क्या मतलब
ज़हर भरा है तुम्हारे दिलो-दिमाग में गर
बस दिखावे की मुलाक़ात का अब क्या मतलब
किया क्यों खून से तर, मेरा क़त्ल किसने किया
गुज़र गया हूँ, सवालात का अब क्या मतलब
मुझे सताया मेरी लाश को तो सोने दो
गुज़र गया हूँ खुराफात का अब क्या मतलब।
Note: रामपुरिया जी, संस्कृत प्रसारण के बारे में मैं भूला नहीं हूँ। अगली पोस्ट में ज़रूर बात करेंगे। आपके प्यार के लिए आभारी हूँ।
मैं कौन था मैं कहाँ था, इसका अब क्या मतलब
चला कहाँ कहाँ पहुँचा, इसका अब क्या मतलब
ठिकाना दूर बनाया कि उनसे बच के रहें
कपाट तोड़ घुस आयें, इसका अब क्या मतलब
ज़हर भरा है तुम्हारे दिलो-दिमाग में गर
बस दिखावे की मुलाक़ात का अब क्या मतलब
किया क्यों खून से तर, मेरा क़त्ल किसने किया
गुज़र गया हूँ, सवालात का अब क्या मतलब
मुझे सताया मेरी लाश को तो सोने दो
गुज़र गया हूँ खुराफात का अब क्या मतलब।
Note: रामपुरिया जी, संस्कृत प्रसारण के बारे में मैं भूला नहीं हूँ। अगली पोस्ट में ज़रूर बात करेंगे। आपके प्यार के लिए आभारी हूँ।