शायद इन लोगों की बुद्धि में ही कोई कमी है। या तो इन्हें घटना की पूरी जानकारी ही नहीं है या फिर यह लित्तू भाई को बदनाम करने की एक गहरी साजिश है। ये लोग जैसा चाहें कहें और जो चाहे यकीन करें। मगर मैं इनकी बातों में क्यों आऊँ? मैं तो लित्तू भाई को बहुत करीब से जानता हूँ। वे ऐसा नहीं कर सकते - कभी भी - किसी भी हालत में। इंसान गलतियों का पुतला है। इस पूरे घटनाक्रम में भी कहीं कोई बड़ी गलती ज़रूर हुई है वरना लित्तू भाई का नाम ऐसे जघन्य अपराध से नहीं जुड़ सकता था।
अपने घर से बाहर जितने भी लोगों को मैं जानता हूँ, उन सबमें, लित्तू भाई सबसे भले और सच्चे इंसान हैं। उम्र में मुझसे दो-एक साल बड़े हैं मगर लगते कहीं उम्रदराज़ हैं। अपने कपड़े-लत्ते और दिखावे के प्रति बिल्कुल बेपरवाह लित्तू भाई का नफासत से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कभी किसी इंसान की औकात उसके कपडों से नहीं लगाई। इसके उलट वे "सादा जीवन उच्च विचार" के सच्चे अनुयायी हैं।
लित्तू भाई से मेरी पहली मुलाक़ात दद्दू के घर पर हुई थी। दद्दू मेरे चचाजात भाई की ससुराल वालों के दूर के रिश्तेदार हैं। रिश्ता तो वैसे काफी दूर का है मगर अमेरिका में वे मेरे अकेले रिश्तेदार हैं इसलिए किसी अपने सगे से भी बढ़कर हैं। दद्दू का मिजाज़ थोडा फ़ल्सफ़ाना सा है। लित्तू भाई का भी ज़मीनी हकीकत में कोई ख़ास भरोसा नहीं है। आर्श्चय नहीं कि इन दोनों की खूब छनती है।
शुरू में तो अपनी छितरी मूँछें, बिखरे बाल और बेतुके कपडों की वजह से लित्तू भाई ने मुझे विकर्षित ही किया था मगर जब धीरे-धीरे मैंने उन्हें पहचानना शुरू किया तो उनसे दोस्ती सी होने लगी। हँसोड़पन तो उनकी खूबी थी ही, मुझे वे बुद्धिमान भी लगे। अनजाने में ही मैं उनके अन्तरंग समूह का हिस्सा बन गया। आलम यह था कि मेरे सप्ताहांत भी लित्तू भाई के घर पर जमने वाली बैठकों में ही गुजरने लगे।
[क्रमशः]
लित्तू भाई से अब हम भी मिलते रहेगें
ReplyDeleteलिंतू भाई का परिचय तो रोचक लगा आगे देखते हैं अगली कडी का इन्तज़ार रहेगा आभार्
ReplyDeleteकहानी रोचक लगी। अगली कडि़यों का इंतजार रहेगा। ब्लॉग का नया रूप-रंग भी मनभावन है।
ReplyDeleteलितू भाई से तो शुरुआती दौर मे ही खिंचाव हो गया है..लगता है आगे काफ़ी रंग जमने वाला है.
ReplyDeleteरामराम.
दिलचस्प। अगली कड़ी का इंतजार है...
ReplyDeleteअभी पानी पीने को अंजुरी भरी ही थी कि नल ही बन्द हो गया। भाई अनुराग जी ऐसा जुल्म पाठकों के साथ न करें। आगाज तो अच्छा है, अंजाम तो और भी अच्छा होगा। बधाई।
ReplyDeleteअमां दिलचस्पी जगा के यूँ सीरियलों की माफिक बीच में मत छोडा करो ..... एक आध किस्सा तो कह देते...
ReplyDeleteदिलचस्प शुरुआत है ........अब आगे का intedaar है
ReplyDeletelitu bhai ke baare me padhkar bahut achchha laga .sundar lekh .
ReplyDeleteAre waah itnee dher saaree kahaaniyaan, Shukriya.
ReplyDelete{ Treasurer-S, T }
पोस्ट बहुत छोटी पड़ी। इस की लंबाई दुगनी की जा सकती है।
ReplyDeleteफिर... ?
ReplyDeleteआगे क्या हुआ ? :)
बहुत बढ़िया!
ReplyDeleteअगली कड़ी की प्रतीक्षा है।.....
ये मामला तो एकता कपूर के सीरियल जैसा हो गया, अभी असल मुद्दा शुरू ही हुआ था कि क्रमशः लिख दिया. बहरहाल शुरूआत अच्छी हुई है और उत्सुकता जगाने में कामयाब कहानी.
ReplyDeleteलित्तू भाई ने ऐसा क्या कर दिया और क्यों ?जानने की उत्सुकता है.
ReplyDeleteआगे के episode का इन्तजार रहेगा |
ReplyDeleteआपने कहानी को इस मोड़ पे छोडा की अगला episode पढ़ना ही पडेगा |
स्वतंत्रता दिवस के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामना और ढेरो बधाई .
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