(अनुराग शर्मा)
बारूद उगाते हैं बसी थी जहाँ केसर
मैं चुप खड़ा कब्ज़े में है उनके मेरा घर
कैसे भला किससे कहूँ मैं जान न पाऊँ
दे न सकूँ आवाज़ मुझे जान का है डर
नक्सल कहीं माओ कहीं बैठे हैं जेहादी
कंधे बड़े लेकिन नहीं दीखे है कहीं सर
कोई अमल होता नहीं बेबस हुआ हाकिम
दर पे तेरे पटक के ये सर जायेंगे हम मर
बदलाव कभी आ नहीं सकता है वहाँ पे
परचम बगावत का हुआ चोरी जहाँ पर
बारूद उगाते हैं बसी थी जहाँ केसर
मैं चुप खड़ा कब्ज़े में है उनके मेरा घर
कैसे भला किससे कहूँ मैं जान न पाऊँ
दे न सकूँ आवाज़ मुझे जान का है डर
नक्सल कहीं माओ कहीं बैठे हैं जेहादी
कंधे बड़े लेकिन नहीं दीखे है कहीं सर
कोई अमल होता नहीं बेबस हुआ हाकिम
दर पे तेरे पटक के ये सर जायेंगे हम मर
बदलाव कभी आ नहीं सकता है वहाँ पे
परचम बगावत का हुआ चोरी जहाँ पर
जान का डर हमें हैं और उन्हें जान का जरा भी डर नहीं जो बारूद उगाते हैं..यही तो विडम्बना है इस सदी की..
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 15 सितम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआभार
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 15-09-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2466 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
धन्यवाद
Deleteवाह बहुत सुन्दर ।
ReplyDeleteइससे बेहतर वर्त्तमान दुर्दशा का कोई चित्रण नहीं हो सकता. बिना शोर शराबे के आपने सब कुछ कह दिया!
ReplyDeleteयही तो विवशता है - उपचार कहाँ !
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteआप और हम एक आत्मीय होने के नाते यही उम्मीद करते है
ReplyDeleteपरिवर्तन की नई सुबह अवश्य होगी अभी कोहरे में ढकी है भोर !
बेहतरीन रचना !
क्या बात कही है आपने कि जहाँ बगावत का परचम ही चोरी होजाए वहाँ बदलाव क्होया होगा ..व्यथा को सही शब्द मिले है .
ReplyDeleteइस हालात के ही हैं सब शिकार ।
ReplyDeletehttp://bulletinofblog.blogspot.in/2016/09/3.html
ReplyDeleteवर्तमान को केनवास दे दिया शब्दों का ... आज के हालात पे कड़ा तप्सरा ...
ReplyDeleteकेसर क्यारी बंजर हो उगा रही बारूद क्या कीजे!
ReplyDeleteबदलाव कभी आ नहीं सकता है वहाँ पे
ReplyDeleteपरचम बगावत का हुआ चोरी जहाँ पर
..बहुत सटीक। .
धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....
ReplyDeleteस्थिति बड़ी खराब है, जल्दी सुधरे।
ReplyDeleteआपके द्वारा लिखी गई हर पंक्तियाँ बेहद खूबसूरत होती हैं..
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