फूल के बदले चली खूब दुनाली यारों,
बात बढ़ती ही गई जितनी संभाली यारों
दूध नागों को यहाँ मुफ्त मिला करता है,
पीती है मीरा यहाँ विष की पियाली यारों
बीन हम सब ने वहाँ खूब बजा डाली थी,
भैंस वो करती रही जम के जुगाली यारों
दिल शहंशाह था अपना ये भुलावा ही रहा,
जेब सदियों से रही अपनी तो खाली यारों
ज़िंदगी साँपों की आसान करी है हमने,
दोस्ती अपनी ही आस्तीन में पाली यारों