Thursday, December 1, 2011

तू मेरा बन - कविता

रेशम तन
निर्मल मन

तुझको ही
चाहें जन

हटा तमस
चमके जीवन

मन बाजे
छन छन

जग तेरा
तू मेरा बन

(~ अनुराग शर्मा)
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सम्बन्धित कड़ियाँ
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* सब तेरा है
* क्यों सताती हो?
* आग मिले

33 comments:

  1. सुंदर शब्द और भाव का समन्वय !

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  2. यह भी अच्छा
    चिंतन और मनन !

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  3. कम शब्दों में कितना कुछ..

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  4. अनुराग जी, इर्ष्या से भर जाता हूँ जब किसी को छोटे छंद में कविता और छोटे बहर में गज़ल कहते देखता हूँ और रचना इतनी सशक्त हो तो इर्ष्या की तीव्रता और भी प्रबल हो जाती है... काश मैं भी ऐसा ही कुछ कह पाता!!

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  5. सुंदर,मनोहारी :)

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  6. चंद पंम्क्तियों मे जीवन का सार। बधाई।

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  7. सुन्दर भाव -संक्षिप्ति ही सुन्दरता की आत्मा है -पुनः साबित हुआ !

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  8. शब्द कम ,भाव गहन ,
    साथ चले चिंतन क्रम !

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  9. जग तेरा
    तू मेरा बन
    कितनी बड़ी बात है और शब्दों में कोई कोलाहल भी नहीं!!!
    बहुत खूब!

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  10. चंद शब्द में सम्मोहन बाँध देना इसे ही कहते हैं...

    बहुत बहुत बहुत ही सुन्दर रचना...

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  11. इतने कम शब्दों में इतने भाव...वाह ..

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  12. छोटे- छोटे शब्दों में रचा गीत प्रार्थना सा ही ...
    वाह !

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  13. अच्‍छी बन पड़ी है.

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  14. वाह! जो जिसका बनेगा, वह उसका बनेगा।

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  15. बहुत अच्छा प्रयास है ।
    सुन्दर भाव और नया प्रयोग ।

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  16. सुंदर निर्मल भाव और आवाहन ....
    आनंद आ गया भाई जी !
    शुभकामनायें आपको !

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  17. बहुत बहुत सुंदर..... अर्थपूर्ण शब्द संयोजन ....

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  18. तू लिख, पढूँ मैं
    हो जाए, मन चन्‍दन

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  19. अद्भुत !! तरंगित भाव !!!

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  20. नहीं आसां है यह करना,
    है मुश्किल बड़ा खुद से लड़ना।
    आभार।

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  21. sundar shabdo se saji hai ye kavita badhiya

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  22. यानी यह तो वही बात हुई कि ‘देखन में छोटे लगें...ज्यौं नावक के तीर’
    बढ़िया

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  23. जग तेरा
    तू मेरा बन

    वाह .. बहुत खूब. सुन्दर रचना.

    www.belovedlife-santosh.blogspot.com

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  24. वे थोडे ही शब्द जब करीने से सजते है तो भावनाओं के शिखर बन जाते है।
    बेहद सुन्दर भाव!!

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  25. बहुत खूब ... जग तेरा ... तू मेरा बन ...
    कुछ शब्दों में दूर की बात ...

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  26. बहुत ही सुन्दर

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  27. मन प्रसन्न हो गया

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  28. बड़े ही मधुर भाव हैं, थोड़े में सब कुछ कह दिया, वाह वाह !!

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